यमुना किनारे आयोजित विश्व संस्कृति महोत्सव से पर्यावरण को हुए नुकसान के मद्देनजर पांच करोड़ का जुर्माना आर्ट ऑफ लिविंग पर लगाया गया था। इस जुर्माने को श्री श्री रविशंकर ने पूरी तरह चुका दिया है। एनजीटी ने आर्ट आफ लिविंग पर 5 करोड़ का हर्जाना लगाया था। इसमें से 25 लाख की रकम आर्ट आफ लिविंग ने 11 मार्च को कार्यक्रम से ठीक पहले अदा की थी। बाकी का जुर्माना पौने पांच करोड़ डीडीए को दे दिया गया है।
पर्यावरण मंत्रालय ने पिछले दो साल में जिस तेजी से धड़ाधड़ परियोजनाओं को मंजूरी दी है उसी कड़ी में जलाभूमि (वेटलैंड) नियमों में तब्दीली की सिफारिश को देखा जा सकता है
भारत ने सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से पहली बार स्वदेशी, पुन: इस्तेमाल किए जा सकने वाला प्रक्षेपण यान (आरएलवी) प्रक्षेपित किया। यह भारत का अपना खुद का अंतरिक्ष यान है। स्वदेशी स्पेस शटल का सफल परीक्षण कर भारत ने अंतरिक्ष में एक और कामयाबी हासिल कर ली।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से नियुक्त समिति ने यमुना के किनारे आगामी कार्यक्रम से होने वाले संभावित नुकसान के लिए श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन पर 120 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की है। आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन ने 11 से 13 मार्च तक यमुना किनार कार्यक्रम करने की योजना बनाई है।
तुर्की ने मंगलवार को सीरिया की सीमा पर एक सैन्य विमान को मार गिराया है। यह सैन्य विमान रूस का था जिसकी पुष्टि रूस की ओर से कर दी गई है। तुर्की की इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच तनाव के बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
डायपर्स, सैनिटेरी नैपकीन और कॉन्डम आदि जैसे कचरे को खुले में फेंक देने वालों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करने के मूढ़ में है। पर्यावरण मंत्रालय ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर ड्राफ्ट नियमों को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है और 31 जुलाई तक आम जनता से सुझाव मंगवाए हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बनाए गए नियमों के मसौदे में पहली बार सैनिटेरी वेस्ट की परिभाषा भी तय की गई है। इसमें डायपर्स, सैनिटेरी नैपकीन और कॉन्डम वगैरह का जिक्र करके बताया गया है कि इनका निपटारा कैसे करना है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) अगले महीने ऐसे रॉकेट का प्रक्षेपण करने वाला है जिसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सके। अगर भारत का यह प्रक्षेपण सटीक रहा तो भविष्य में उपग्रहों को अंतरिक्षण में भेजने की लागत में बहुत कमी हो जाएगी क्योंकि हर बार नया रॉकेट नहीं इस्तेमाल करना पड़ेगा।