मार्क बाउचर की याद है आपको। हां, वही दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर, पांच वर्ष पहले जिनकी आंख में उछलकर बेल्स लग गई थी और उन्हें वक्त से पहले क्रिकेट से संन्यास लेना पड़ गया था। लेकिन अब विकेटकीपरों को ऐसी गंभीर चोटों से बचाने के लिए मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने पहल की है। एमसीसी ने ऐसी बेल्स के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है जो स्टंप उखड़ने के वक्त गिरेगी तो उतनी ही तेजी से लेकिन उसकी दूरी सीमित हो जायेगी। दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन की दो कंपनियों ने इस तरह की बेल्स के अपने डिजाइन सौंपे हैं।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे प्रोटीन का पता लगाया है जो मनुष्यों में रीढ़ की हड्डी की चोट से उबरने में अहम साबित हो सकता है और नष्ट हुए उत्तकों की मरम्मत की चिकित्सकीय पद्धति के लिए अहम हो सकता है।