कांग्रेस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 23 जनवरी का दिन तय किए जाने की आलोचना करते हुए सरकार से मांग की है कि फाइलों को तत्काल सार्वजनिक किया जाए।
ए आर रहमान के लिए आज दोहरी खुशी का दिन है। एक तरफ उन्हें हृदयनाथ मंगेशकर पुरस्कार मिलने की घोषणा हुई है तो दूसरी ओर ब्राजील के कालजयी फुटबॉल खिलाड़ी पेले अपने कोलकाता प्रवास के दौरान उनसे मिलेंगे।
केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने आज यहां कहा कि केंद्र अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करने के बाद ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने पर कोई निर्णय करेगा।
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर जारी किए गए डाक टिकट और अंतरदेशीय डाक पत्र बंद किए जाने के फैसले को लेकर आज विवाद शुरू हो गया और सरकार ने कहा कि सिर्फ एक ही परिवार को यह सम्मान नहीं मिल सकता वहीं कांग्रेस ने इस कदम को इतिहास का अपमान बताते हुए माफी मांगे जाने की मांग की।
वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर आलोचना झेल रही सरकार ने आज अपने आदेश की समीक्षा की और उन साइटों पर से प्रतिबंध हटाने का निर्णय किया जो अश्लील सामग्री नहीं परोसती। इससे पहले, दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।
मुंबई के 1993 के बम धमाकों के आरोपी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की फांसी पर यूं तो पिछले कई दिनों से राजनीति जमकर हो रही है मगर गुरुवार को उसे फांसी पर चढ़ाए जाने के बाद तो जैसे नेताओं में बयानबाजी की होड़ ही लग गई।
ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।
एचएसबीसी की जिनेवा शाखा में खातों की जानकारी छिपाने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री वसंत साठे के पुत्र और बहू को आज दिल्ली की एक अदालत में पेश होना पड़ा। अदालत ने उन्हें जमानत दे दी है।
40 साल पहले आपातकाल के रूप में हुई लोकतंत्र की हत्या के लिए अक्सर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के नाम ही सामने आते हैं। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कई अहम किरदार आपातकाल में अहम भूमिका निभा रहे थे।