भाजपा सरकार को आज सत्ता संभालते हुए तीन साल हो गए हैं। इस अवसर पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले तीन सालों में मोदी सरकार की उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इन तीन सालों के दौरान देश की जनता का आत्मविश्वास बढ़ा है।
उत्तर प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था मोदी सरकार के तीन साल के जश्न का मजा किरकिरा कर सकती है। मोदी और योगी पर हमले के मुद्देे तलाश रहे विपक्ष को सहारनपुर हिंसा और ग्रेटर नोएडा में चार महिलाओं से गैंगरेप की घटना ने बड़ा मुद्दा दे दिया है।
केन्द्र में अपने तीन साल पूरे करने जा रही भाजपा जहां जश्न की तैयारी में है, वहीं आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ ट्विटर वार छेड़ दिया है। आज सुबह से ही ट्विटर पर आप ने भाजपा को कई मोर्चों पर घेरने की कोशिश की है।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन औवेसी ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर हमला बोला है। ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार को सबसे पहले कश्मीर को लेकर अपनी पॉलिसी बतानी चाहिए। ओवैसी का कहना है कि मोदी सरकार के पास कश्मीर को लेकर न तो कोई विजन है और न ही कोई प्रभावी नीति।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का मानना है कि मोदी सरकार ने तीन साल में देश को आर्थिक स्थिरता प्रदान की है और सुधारों की दिशा में बड़े कदम बढ़ाए हैं। सार्वजनिक संसाधनों के आवंटन में भ्रष्टाचार पर अंकुश और जैम व्यवस्था को वे मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियां मानते हैं। लेकिन यह भी स्वीकार करते हैं कि तेज आर्थिक वृद्धि दर के बावजूद रोजगार के मौकों की रफ्तार धीमी है। उन्होंने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और केंद्र सरकार के तीन साल के कामकाज से जुड़े कई अहम मु्द्दों पर आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह से बेबाक बातचीत की। कुछ अंश:
केन्द्र में भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने पर राहुल गांधी ने कटाक्ष किया है। राहुल ने ट्वीट कर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर और उससे जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में मोदी सरकार की नीति राजनीति से प्रेरित है। मायावती ने जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बसपा पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा, जम्मू कश्मीर और उससे जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में मोदी सरकार की नीति एवं कार्यप्रणाली देशहित से ज्यादा राजनीति से प्रेरित लगती है।
देश में बुजुर्गों से संबंधित योजनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा की आवश्यकता बताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय नीति एनपीओपी जैसी योजनाएं 1990 के दशक की हैं और सरकार को इन पर पुनर्विचार तथा समीक्षा करने की जरूरत है।