जम्मू-कश्मीर के हिमालय पर्वतों की हालिया भौगोलिक मैपिंग में कहा गया है कि राज्य में रिक्टर पैमाने पर आठ या इससे ज्यादा तीव्रता का भीषण भूकंप आ सकता है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं।
तुर्की ने मंगलवार को सीरिया की सीमा पर एक सैन्य विमान को मार गिराया है। यह सैन्य विमान रूस का था जिसकी पुष्टि रूस की ओर से कर दी गई है। तुर्की की इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच तनाव के बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी एकीकृत मार्क्सवादी -लेनिनवादी (नेकपा-एमाले) के खडग प्रसाद शर्मा ओली को देश का नया प्रधानमंत्री चुना गया है। तिरेसठ वर्षीय ओली साल 2006 की जनक्रांति के तत्काल बाद बनी गिरिजा प्रसाद कोइराला के नेतृत्व वाली सरकार में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री बने थे। संविधान बनने के बाद प्रधानमंत्री ओली के सामने कई चुनौतियां भी हैं। नेपाल में संविधान संशोधन को लेकर मधेशियों का आंदोलन पूरा जोर पकड़ चुका है। नए संविधान की मंजूरी से पैदा ताजा मधेशी संकट और प्रधानमंत्री बनने से कुछ दिन पहले ही आउटलुक के विशेष संवाददाता ने ओली से मुलाकात की थी। कई मुद्दों पर बातचीत हुई। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
वामपंथियों और कुर्दिश समूहों के समर्थकों द्वारा आयोजित एक शांति रैली के लिए एकत्र हुए लोगों को निशाना बनाकर आज तुर्की की राजधानी अंकारा में दो विस्फोट किए गए जिनमें कम से कम 86 लोगों की मौत हो गई।
काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने के बाद जब वहां के स्थानीय समाचार पत्रों पर नजर दौड़ाई तो पाया कि भूकंप की त्रासदी की चर्चा कम, संविधान की चर्चा ज्यादा है। हवाई अड्डे से बाहर निकलने के बाद बातचीत के क्रम में जब लोगों से जानना चाहा कि अब भूकंप के बाद क्या स्थिति है तो लोग भूकंप की बजाय देश के संविधान पर बात ज्यादा कर रहे थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर भूकंप नहीं आता तो शायद राजनीतिक दल संविधान को लेकर इतनी जल्दी सक्रिय नहीं होते।
25 अप्रैल को नेपाल में आए भूकंप से व्यापक तबाही हुई है। इससे नेपाल में महात्रासदी की स्थिति पैदा हो गई है। भूकंप के एक माह से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद लगातार कंपन जारी है। बारह अप्रैल को 7.3 रेक्टर की तीव्रता ने स्थिति को जटिल बनाने के साथ ही लोगों का सामान्य जीवन तबाह कर दिया है। भारी संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे राते गुजारने के लिए बाध्य हैं। पीड़ितों के पास अब तक पर्याप्त राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है। दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थिति और भी भयावह है। सरकारी मदद अब तक इन स्थानों तक नहीं पहुंची है। राज्य सरकारों की अनुपस्थिति ने शासकीय शून्यता को जन्म दिया है। वर्षों से वहां पर नौकरशाहों का राज है। स्थानीय स्तर पर निर्वाचित और उत्तरदायी शासन के अभाव ने राहत कार्यों में गंभीर स्थिति को जन्म दिया है।