गुजरात राज्यसभा चुनाव की जंग अब चुनाव आयोग में चल रही है। कांग्रेस और भाजपा दोनों दो वोटों की वैधता को लेकर आमने सामने हैं। दोनों दलों के दिग्गज आयोग के सामने अपनी दलील रख रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि दो विधायक ने वोट देने के दौरान अपने वोट भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को दिखाए हैं, इन्हें खारिज किया जाना चाहए तो भाजपा ने उऩके आरोप को निराधार बताया है।
राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए समर्थित मीरा कुमार को हराकर रामनाथ कोविंद भारत के नए राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। लेकिन आपको बता दें कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के वोटों के रिकॉर्ड को तोड़ पाने में कोविंद कामयाब नहीं हो सके।
देश के 14वें राष्ट्रपति के लिए के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में जारी मतदान के बीच नेता और जनप्रतिनिधि अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कोई सोशल मीडिया पर तो टीवी चैनल्स के माध्यम से। इस बीच लोकसभा के भूतपूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपनी राय व्यक्त की है।
'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
ब्रिटेन में 8 जून को हुए आम चुनावों के बाद मतों की गिनती जारी है। इस बीच चुनावों के नतीजे और रुझान भी सामने आने लगे हैं। आम चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री थेरेसा मे के लिए निराशाजनक हो सकते हैं। लेबर पार्टी के खाते में 261 सीटें आ चुकी हैं। इसी के साथ पार्टी ने 2015 का आंकड़ा भी पार कर लिया है।
क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?