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समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

समीक्षा - रंगीले की रंगीनियत

ज्यादातर भारतीय फिल्म निर्देशक ‘पोस्ट इंटरवेल ब्लू’ यानी मध्यांतर के बाद फिल्म को झुला देने की आदत से पीड़ित रहते हैं। तो कुछ हद तक गुड्डू रंगीला के निर्देशक सुभाष कपूर भी इससे बच नहीं पाए हैं। लेकिन यदि खाप पंचायत के सामने लड़कियों की स्थिति पर एक शानदार तकरीर वाले दृश्य पर विचार किया जाए, आखिरी दृश्य में शोले स्टाइल की लड़ाई और इस तरह के दृश्यों को देखें तो लगता है कि भारतीय दर्शकों के लिए भी यह सब जरूरी है। आखिर बुरा आदमी लहूलुहान हो कर पिटे ही न, उससे परेशान दो लड़कियां हीरो स्टाइल में उसे गोली न मारे तो क्या मजा। आखिर यह मजा ही दर्शकों को सिनेमाघर में खींचता है।
समीक्षा – टनकपुर का कानून

समीक्षा – टनकपुर का कानून

पत्रकार से फिल्म निर्देशक बने विनोद कापड़ी की पहली फिल्म मिस टनकपुर हाजिर हो बॉक्स ऑफिस के कमाई के रिकॉर्ड तोड़ पाएगी या नहीं यह तो वक्त बताएगा, लेकिन अपनी पहली ही फिल्म में विनोद कापड़ी ने बता दिया है कि यह एक जरूरी फिल्म है।
इमरजेंसी के अहम किरदार और उनकी भूमिकाएं

इमरजेंसी के अहम किरदार और उनकी भूमिकाएं

40 साल पहले आपातकाल के रूप में हुई लोकतंत्र की हत्‍या के लिए अक्‍सर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के नाम ही सामने आते हैं। लेकिन इन दोनों के अलावा भी कई अहम किरदार आपातकाल में अहम भूमिका निभा रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने जगाई सुब्रत रॉय की रिहाई की आस

सुप्रीम कोर्ट ने जगाई सुब्रत रॉय की रिहाई की आस

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय की जेल से रिहाई 5,000 करोड़ रुपये नकद जमा करने और 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी देने पर निर्भर करती है।
आईएसआई निदेशक बिमल कुमार रॉय बर्खास्त

आईएसआई निदेशक बिमल कुमार रॉय बर्खास्त

कोलकाता में प्रतिष्ठित भारतीय सांख्यिकी संस्थान आईएसआई के निदेशक बिमल कुमार रॉय को उनके पद से हटा दिया गया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई इस आशंका के आधार की गई है कि वह अनुशासनहीनता एवं वित्तीय अनियमितता सहित नुकसान करने वाली कार्रवाई कर सकते हैं।
लोकतांत्रिक तरीके से चुना व्यक्ति भी तानाशाह हो सकता हैः नामवर सिंह

लोकतांत्रिक तरीके से चुना व्यक्ति भी तानाशाह हो सकता हैः नामवर सिंह

आलोचना (त्रैमासिक) पत्रिका के अंक 53-54 के प्रकाशन के उपलक्ष्य में ‘भारतीय जनतंत्र का जायजा’ विषय पर साहित्य अकादमी-सभागार में आयोजित परिचर्चा में युवाओं की भागीदारी जबरदस्त रही। दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सहित अन्य अकादमिक संस्थानों के छात्रों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। युवाओं ने जनतंत्र से जुड़े सवालों की झड़ी लगा दी। एक युवा ने सवाल खड़ा किया कि आखिर क्यों ‘आलोचना’ पहले जैसी नहीं होती ! जिसकी आलोचना होती है वह और मजबूत क्यों हो जाता है।
प्री-मेडिकल के नतीजों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

प्री-मेडिकल के नतीजों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को आदेश जारी किया है कि वह 9 जून तक प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा (पीएमईटी) के नतीजे घोषित न करें क्योंकि हरियाणा पुलिस 4 मई को हुई परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने की जांच कर रही है।
राष्ट्रपति तक पहुंची ‘केजरी-जंग’

राष्ट्रपति तक पहुंची ‘केजरी-जंग’

मौसम की गर्मी के साथ दिल्ली का सियासी पारा भी चरम पर पहुंच चुका है। इसकी गर्माहट रायसीना हिल पर बसे राष्ट्रपति भवन में तब ज्यादा महसूस की गई जब दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री ने बारी-बारी से राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर एक-दूसरे की जमकर शिकायत की।
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