बिहार में सियासी हलचल के बीच नीतीश सरकार के मंत्री पर फतवा जारी हो गया है। मंत्री खुर्शीद अहमद पर ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने की वजह से यह फतवा जारी किया गया है।
पूर्वोत्तर राज्य असम की 16 वर्षीय युवा गायिका नाहिद आफरीन के खिलाफ ताबड़तोड़ 46 फतवे जारी कर मौलवियों ने उन्हें सार्वजनिक रुप से गाने से मना किया गया है। मौलवियों ने इसे शरई कानून के खिलाफ बताया है।
असम में अपने तरह के एक अभूतपूर्व मामले में कुछ इस्लामी धर्मगुरुओं ने फतवा जारी कर राज्य की एक प्रतिभाशाली 16 साल की गायिका को किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रस्तुति देने से यह कहते हुए प्रतिबंधित किया है कि यह शरिया के खिलाफ है।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा लिपस्टिक अंडर माय बुर्का को सर्टिफिकेट न दिए जाने के बाद इस फिल्म और इसके निर्माता प्रकाश झा के विरोध में फतवा जारी कर दिया है। भोपाल में मुस्लिम त्योहार कमेटी की मजलिस ए शूरा ने फतवा जारी किया है। फतवे में फिल्म निर्माता प्रकाश झा को भोपाल न आने की चेतावनी भी दी गई है।
तृणमूल कांग्रेस के करीबी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समर्थक टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना नूरूर रहमान बरकती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ फतवा जारी कर दिया। कलकत्ता प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में बरकती ने कहा कि जो भी प्रधानमंत्री के सिर के बाल व दाढ़ी का मुंडन करेगा, उसे 25 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।
अगर किसी मुस्लिम महिला का पति शराबी है और उसमें कमियां है। वह बीमार या अक्षम है तो मुस्लिम महिला अपने पति को तलाक दे सकती है। लेकिन इसकी शर्त यह है कि वह निकाह के दौरान अपने पति से इस तरह का करारनामा कर लिया हो। शरीयत के हवाले से दरगाह आला हजरत दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम के मुफ्ती सलीम नूरी ने हाल ही में एक फतवा जारी कर यह बात साफ की है और तफवीजे़ तलाक कहे जाने वाले इस हक की शर्तें भी बतायी हैं। अब तक यही आम धारणा थी कि तलाक का हक सिर्फ पति को है महिला तलाक नहीं दे सकती।
दरगाह आला हजरत से पाकिस्तान के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा चीफ हाफिज सईद और उसे मसीहा मानने वालों को इस्लाम से खारिज कर दिया गया है। उसके संबोधन सुनने को भी हराम करार दिया गया है। मुसलमानों से कहा गया है कि वे हाफिज से बचकर रहें।
स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने को लेकर बरेली स्थित दरगाह आला हजरत ने अपने एक अहम फतवे में कहा है कि जश्न-ए-आजादी पर झंडा फहराने या जश्न मनाने में किसी तरह का कोई हर्ज नहीं है। फतवे में मुसलमानों से कहा गया है कि आजादी के जश्न में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें।