सरकार ने आज भारतीय उद्यम विकास सेवाओं (आईईडीएस) के गठन को मंजूरी प्रदान की। इसका गठन सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के तहत विकास आयुक्त कार्यालय में किया जाएगा।
विमुद्रीकरण के बाद ओडिशा में धान फसल की कटाई के साथ ही पुराने दिनों की श्रम अदलाबदली की परंपरा बदलिया भी फिर से शुरू हो गयी है। बदलिया एक-दूसरे के खेतों में मजदूरी के बदले मजदूरी करने की परंपरा है, जिससे ओडिशा के तटीय जिलों के कुछ हिस्सों में सुधार के संकेत दिखने लगे हैं।
फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री (फोर्टी) ने नोटबंदी से उत्पन्न स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि अगर यही हालात रहे तो दो माह में एक लाख करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हो सकता है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कर की कई दरें रखना घातक होगा और यह पुराने वैट को नए आकार में पेश करने के अलावा और कुछ नहीं होगा।
सरकार की एक अप्रैल से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने की योजना के साथ राजस्व विभाग के समक्ष 60,000 फील्ड अधिकारियों को प्रशिक्षण देने की एक बड़ी चुनौती है। विभाग अब तक केवल 3,074 कर्मियों को ही जरूरी प्रशिक्षण उपलब्ध करा पाया है।
देश में कारोबार की परिस्थितियों में सुधार के साथ विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर अगस्त में 13 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी। कंपनियों के मैनेजरों के बीच कराए जाने वाले एक प्रतिष्ठित मासिक सर्वे से यह बात सामने आयी है।
देश के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर की तिमाही में ऊंची रहेगी। एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि निर्यात संभावनाओं तथा घरेलू मांग में सुधार से विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर बेहतर रहेगी।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध एक प्रमुख संगठन भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि वह उत्पाद एवं सेवा कर (जीएसटी) का विरोध करेगा क्योंकि इससे आम लोगों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। हालांकि भाजपा नीत राजग सरकार ने जीएसटी को ऐतिहासिक और सबसे महत्वपूर्ण कर सुधार बताया है।
गुड्स ऐंड सविर्सेज टैक्स (जीएसटी) को आजादी के बाद से कर क्षेत्र का सबसे बड़ा सुधार माना जा रहा है। जीएसटी से सरकार को अहम फायदे होंगे। इससे मेक इन इंडिया प्रोग्राम को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही कई वस्तुओं पर उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। मौजूदा कर ढांचे और लाल फीताशाही के कारण होने वाली देरी से कारोबार को पांच-10 फीसद नुकसान पहुंचता है, जिसकी भरपाई कारोबारी उपभोक्ताओं की जेब से करते हैं।