मनीष तिवारी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। कुछ नए मंत्रियों को शपथ दिलाई। कई को पद से हटाया। इसमें आश्चर्यजनक यह है कि सारी प्रक्रिया से पीएम खुद बाहर दिखे।"
1992 के बाद वित्तीय वर्ष 2016-17 में कार्पोरेट निवेश की गति सबसे धीमी हो गई है। विश्लेषकों का कहना है कि अर्थव्यवस्था में खराब मांग और नए परियोजनाओं को ऋण देने के लिए बैंकों की अनिच्छा से यह गिरावट आई है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नोटबंदी पर अपनी चिंता जाहिर की है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का विकास धीमा पड़ने की वजह नोटबंदी है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था केवल सार्वजनिक व्यय के इंजन पर चल रही है। लाखों नौकरियां खत्म हो रही है और निजी क्षेत्र का निवेश ध्वस्त हो गया है।