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एक पत्रकार जो फिल्म की कहानी बन गया

एक पत्रकार जो फिल्म की कहानी बन गया

गरीबी और भ्रष्टाचार को कैमरे से कैद करने वाला एक युवा पत्रकार खुद फिल्म की कहानी बन गया। वह छोटे-छोटे सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार और गरीबी पर वीडियो बना उन्हें इंटरनेट पर लोड कर देता। उसकी कहानियां वाशिंगटन डीसी के लॉयरेल ग्वीज डेक और ग्रेगरी वॉल्स ने देखी तो उसपर फिल्म बनाने के लिए भारत आ पहुंचे। फिल्म लगभग तैयार है।
मुकेश मीणा के खिलाफ हाईकोर्ट गई दिल्ली सरकार

मुकेश मीणा के खिलाफ हाईकोर्ट गई दिल्ली सरकार

दिल्ली में उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त एंटी करप्‍शन ब्यूरो (एसीबी) के प्रमुख मुकेश मीणा की नियुक्ति को दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसके बाद दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद और गहरा गया है।
राजकमल चौधरी का रचना संसार

राजकमल चौधरी का रचना संसार

राजकमल प्रकाशन से आठ खंडों में प्रकाशित राजकमल चौधरी रचनावली के प्रथम दो खंडों में कविता, तीसरे-चौथे खंड में कथा, पांचवे-छठे खंड में उपन्यास, सातवें खंड में निबंध-नाटक और अंतिम खंड में पत्र-डायरी को शामिल किया गया है।
अंबानी, अडानी और वेदांता को राहत, अन्य 22 सेज रद्द

अंबानी, अडानी और वेदांता को राहत, अन्य 22 सेज रद्द

सरकार ने तमिलनाडु औद्योगिक विकास निगम और टयू डेवलपर्स सहित 22 विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) की मंजूरी रद्द कर दी है। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में संतोषजनक प्रगति नहीं होने की वजह से मंजूरी रद्द की गई।
दिल्‍ली की जंग: एसीबी चीफ को चार्ज लेने से रोका, गृह सचिव को हटाया

दिल्‍ली की जंग: एसीबी चीफ को चार्ज लेने से रोका, गृह सचिव को हटाया

दिल्‍ली के एंटी करप्‍शन ब्‍यूरो पर कब्‍जे की जंग तेज होती जा रही है। दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल की ओर से नियुक्‍त एसीबी के चीफ एमके मीणा को दिल्‍ली सरकार ने यह कहते हुए चार्ज लेने से रोक दिया कि एसीबी में संयुक्‍त आयुक्‍त का कोई पद नहीं और एसीबी में पहले से एक प्रमुख मौजूद है। दिल्‍ली सरकार ने एसीबी में मीणा की नियुक्ति का आदेश जारी करने वाले राज्‍य के गृह सचिव धर्म पाल को भी हटाने का फैसला किया है। हालांकि, उपराज्‍यपाल नजीब जंग ने गृह सचिव को हटाने से इन्‍कार कर दिया है जबकि एमके मीणा का कहना है कि वह एसीबी प्रमुख का चार्ज ले चुके हैं। इस बीच, दिल्‍ली सरकार ने एसीबी में मीणा की नियुक्ति के आदेश को भी गृह विभाग से रद्द करवा दिया है।
मम्मा की डायरी के बहाने

मम्मा की डायरी के बहाने

इंडिया हैबिटेट सेंटर का केसोरिना हॉल। जब हम पहुंचे तो हॉल में गिनती के लोग। देखते ही देखते हॉल में बच्चों की शैतानियां शुरू हो गईं। मम्मियों की आंखें लाल होने लगीं और इस सबके बीच सज गया मंच, ‘मम्मा की डायरी’ पर बातों के लिए। नताशा ने संचालन का जिम्मा उठाया और लेखिका अनु सिंह चौधरी ने बातों की भूमिका बांधी। एक सवाल के साथ, ‘मैं मां न होती तो न जाने क्या होती?’ औपचारिक शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की बनाई फिल्म, ‘आओगी न मां’ से हुई। संवाद के तौर-तरीके चिट्ठी-पत्री से बदल कर ईमेल तक पहुंचे।
वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी का 51वां स्थापना दिवस

वाणी प्रकाशन के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में ‘एथनोग्रफिक-हिस्ट्री-ऑफ-बुक्स बनाम कहानी-किताब-की’ कार्यक्रम हुआ। वक्ताओं में आशीष नंदी, मृणाल पांडे और अभय कुमार दूबे थे। कार्यक्रम की शुरुआत वाणी के निदेशक अरुण महेश्वरी ने की। यह कार्यक्रम वाणी प्रकाशन के इक्क्यावनवें स्थापना दिवस पर आयोजित किया गया था।
‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

‘सफल होने की होड़ और बाजारवाद चिंता का विषय’

लोगों में आज सफल होने की होड़ तेजी से बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए जानी मानी लेखिका अलका सरावगी ने कहा कि आज बाजार सबके लिए मूल्यबोध के पैमाने बनने के साथ साधन एवं साध्य बन गया है और ऐसे में लेखकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।
ऑनलाइन सुखन का सुख

ऑनलाइन सुखन का सुख

आभासी संसार ने कई वास्तविक अनुभव दिए हैं। इनमें से ही है नए और युवा प्रकाशक जो जिन्होंने न सिर्फ रचनाओं को बदल दिया बल्कि इस उद्योग को भी।
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