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झुग्गी बस्तियों के बच्चों का संगीत कार्यक्रम

झुग्गी बस्तियों के बच्चों का संगीत कार्यक्रम

दिल्ली के बच्चे अपने शब्दों को संगीत की धुनों में पिरोकर लोगों के सामने पेश करने के लिए तैयार हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे दिल्ली की झुग्गी बस्तियों के हैं। इस तरह के बच्चों का यह तीसरा वार्षिक संगीत कार्यक्रम है।
मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

मिले-जुले समाज से पाकिस्तान महरूम है-इंतिजार हुसैन

पाकिस्तान के प्रसिद्ध कहानीकार इंतिजार हुसैन ने 2 फरवरी 2016 को इस संसार से विदा ले ली। भारत में पैदा हुए इंतिजार की शिक्षा पहले हापुड़ फिर मेरठ कॉलेज से हुई थी। सन 2012 में सआदत हसन मंटो की जन्मशताब्दी वर्ष के मौके पर पाकिस्तान के नामी अफसानानिगार इंतिजार हुसैन भारत आए थे। विभाजन के बाद वह परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन उनकी रूह भारत में ही रहती थी। उनकी कहानियों में अलग तरह का दर्शन था। बस्ती, हिंदुस्तान से आखिरी खत उनकी लोकप्रिय कृतियों में से है। तब उन्होंने आउटलुक से ढेर सी बात की थी। उनके साक्षात्कार में उन्होंन बताया था भारत और भारतीयता की समझ को। उनका भारत में दिया गया अंतिम साक्षात्कार
पुराना घर और पुरानी बस्ती

पुराना घर और पुरानी बस्ती

वरिष्ठ कथाकार ‘दूसरा कदम’, ‘उनका जीवन’, ‘कछुए की तरह’, ‘एकत्र’ और ‘भूलने का रास्ता’ जैसे कथा-संग्रहों को मिलाकर अब तक नौ कहानी संग्रह प्रकाशित। मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से सेवानिवृत्ति के बाद स्वतंत्र लेखन तथा ‘पहल’ पत्रिका के संपादन में सहयोग।
म्यूजिक एलबम में इमरान

म्यूजिक एलबम में इमरान

भूषण कुमार म्यूजिक वीडियो के सुनहरे दौर को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय संगीत में म्यूजिक वीडियो का दौर बहुत ही जल्दी खत्म हो गया था। अब दोबारा इसके दिन फिरने वाले हैं।
विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का  निधन

विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का निधन

जाने-माने संगीतकार एमएस विश्वनाथन का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने लगभग 1000 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया है। उनकी तबीयत बिगड़ने पर विश्वनाथन को चेन्नई में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके परिवार में चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

बेटी बचाओ के जज्बे के साथ बरखा बहार नाम से एक संगीतमय समारोह का आयोजन नंदिनी फाउंडेशन और पीपल फर्स्ट की ओर से दिल्ली के मुक्तधारा ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह में गायिका मंदाकिनी बोरा के सावन पर गाए गीतों और सुफियाना गीतों ने लोगों को झूमने और तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। लोक गायिका पूजा झा के गीत भी लोगों को खूब पसंद आए।
नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नब्बे के दशक में जब गायिका मिलन सिंह सिल्वर स्क्रीन पर आईं तो लोग इसी पसोपेश में रहते थे कि वह महिला हैं या पुरुष। वह दोनों आवाजों में गाया करती थीं। तब उनके गीत युवाओं की जुबान पर रहते । खासकर ‘ अक्ख दे इशारे नाल गल कर गई कुड़ी पटोले वरगी ’ और ‘हाणियां तू कर लै प्यार की जिना तेरा जी करदा ’। इन गीतों की वजह से लोग उन्हें पंजाबी समझते लेकिन मिलन सिंह उत्तर प्रदेश में इटावा के एक गांव की रहने वाली हैं और ठाकुर परिवार में जन्मीं हैं। 32 सुपरहिट एलबम देने वाली मिलन सिंह ने हाल ही में संगीत की दुनिया में पुनः वापसी की है। पेश है उनके बातचीत के कुछ अंश-
असली शहजादे आरडी बर्मन

असली शहजादे आरडी बर्मन

फिल्म संगीत की दुनिया के शहजादे राहुल देव बर्मन वास्तविक जिंदगी में भी शहजादे थे। त्रिपुरा के राज परिवार से उनका रिश्ता था। उन पर आई एक नई किताब में इस बारे में जानकारी है।