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नोटबंदी : आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया

नोटबंदी : आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया

बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाए रखा। बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके।
मौद्रिक नीति समिति की बैठक कल, रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद

मौद्रिक नीति समिति की बैठक कल, रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद

मौद्रिक नीति पर विचार के लिए छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक कल शुरू होगी। नोटबंदी के प्रभाव को कम करने के लिए नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की व्यापक उम्मीद के बीच यह बैठक हो रही है।
नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है रिजर्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल नोटबंदी की वजह से प्रभावित बैंकों को राहत के लिए बुधवार को मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर सकते हैं। ज्यादातर बैंकरों ने यह राय व्यक्त की है।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र ने भरी उड़ान, वृद्धि दर अक्तूबर में 6.6 प्रतिशत

बुनियादी ढांचा क्षेत्र ने भरी उड़ान, वृद्धि दर अक्तूबर में 6.6 प्रतिशत

इस्पात व रिफाइनरी उत्पाद क्षेत्रों के प्रभावी प्रदर्शन के चलते बुनियादी ढांचा क्षेत्र ने अक्तूबर महीने में 6.6 प्रतिशत वृद्धि दर दर्ज की जो कि बीते छह महीने में सर्वाधिक है।
पीएम मोदी के नोटबंदी से देश की जीडीपी की वृद्धि दर रह जाएगी आधी

पीएम मोदी के नोटबंदी से देश की जीडीपी की वृद्धि दर रह जाएगी आधी

मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद इस वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी के 3.5 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान लगाया जा रहा है। अभी तक 2017 के वित्तीय वर्ष में घरेलू अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की दर से बढ़ोतरी कर रही थी। इस तरह नोटबंदी के बाद देश की जीडीपी की वृद्धि की गति लगभग आधे रहने की आशंका है।
शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से, नौ नये विधेयक पेश किये जाएंगे

शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से, नौ नये विधेयक पेश किये जाएंगे

संसद के 16 नवंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में जीएसटी से जुड़े तीन विधेयकों और किराये की कोख के नियमन संबंधी विधेयक सहित नौ नये विधेयक पेश किये जाएंगे। संसद में पेश होने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े तीन विधेयकों में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, समन्वित वस्तु एवं सेवा कर विधेयक और वस्तु एवं सेवा कर (राजस्व के नुकसान का मुआवजा) विधेयक शामिल हैं।
जीएसटी के तहत कई दरें रखना नुकसानदायक: चिदंबरम

जीएसटी के तहत कई दरें रखना नुकसानदायक: चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आज कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कर की कई दरें रखना घातक होगा और यह पुराने वैट को नए आकार में पेश करने के अलावा और कुछ नहीं होगा।
जीएसटी से खाद्य तेल, मसाले होंगे महंगे, टेलीविजन, एयर कंडीशनर होंगे सस्ते

जीएसटी से खाद्य तेल, मसाले होंगे महंगे, टेलीविजन, एयर कंडीशनर होंगे सस्ते

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के प्रस्तावित चार स्तरीय ढांचे से आम आदमी प्रभावित हो सकता है। इस कर ढांचे के अमल में आने से आम आदमी की रसोई में काम आने वाले खाद्य तेल, मसाले और चिकन जैसा सामान महंगा हो सकता है। अप्रत्यक्ष कर के इस ढांचे में दूसरी तरफ कुछ टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर्स, फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि करों में कमी से सस्ते हो सकते हैं।
जीएसटी परिषद की बैठक कल, कर दर के बारे में निर्णय 20 अक्तूबर तक

जीएसटी परिषद की बैठक कल, कर दर के बारे में निर्णय 20 अक्तूबर तक

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की कल से तीन दिन की महत्वपूर्ण बैठक शुरू हो रही है जिसमें जीएसटी दर पर फैसला किया जाना है। अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में व्यापक बुनियादी सुधार के प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को एक अप्रैल 2017 से लागू करने का लक्ष्य है। जीएसटी परिषद इस बैठक में राज्यों को नयी प्रणाली में राजस्व हानि पर क्षतिपूर्ति के फार्मूले जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान तय करेगी।
प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर जीएसटी दर ज्यादा होगी: जेटली

प्रदूषण फैलाने वाले उत्पादों पर जीएसटी दर ज्यादा होगी: जेटली

भारत द्वारा पेरिस जलवायु संधि पर दस्तखत के चंद दिनों बाद शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में पर्यावरण की लिहाज से प्रतिकूल उत्पादों पर अन्य उत्पादों के मुकाबले अलग तरह का कर लगाया जाएगा। ऐसा कर जलवायु परिवर्तन से बचाव आदि से जुड़े कामों के लिए अधिक कोष जुटाया जाएगा।
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