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झुलसन के बीच बहार का नाम है पार्च्ट

झुलसन के बीच बहार का नाम है पार्च्ट

औरतों के लिए बन रही फिल्मों का रूप बदल रहा है। पिछले हफ्ते आई पिंक ने यदि इसका आगाज किया और अब पार्च्ट ने बता दिया कि यह सफर जारी रहेगा। लीना यादव पहले भी शब्द और तीन जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुकी हैं। इस बार उन्होंने तीन औरतों की दुनिया के जरिए दुनिया की खबर ली है।
कल रीलिज होगी कबाली दीवानगी चरम पर

कल रीलिज होगी कबाली दीवानगी चरम पर

खबर है कि चेन्नई और बेंगलुरू में कुछ लोग रात से उस थिएटर के आगे बैठ जाएंगे जहां कल रजनीकांत की फिल्म कबाली प्रदर्शित होगी। वे ऐसा इसलिए करेंगे क्योंकि ज्यादातर थिएटरों में 80 प्रतिशत टिकट पहले से ही बुक हो गए हैं। बाकी बची सीटों पर कल बहुत घमासान होगा।
आप सरकार से नौकरी की पेशकश को रोहित वेमुला के भाई ने ठुकराया

आप सरकार से नौकरी की पेशकश को रोहित वेमुला के भाई ने ठुकराया

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रसासन की कथित प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने वाले दलित शोध छात्र रोहित वेमुला के भाई ने दिल्ली सरकार की तरफ से की गई नौकरी की पेशकश को स्वीकारने से मना कर दिया है। यह जानकारी दिल्ली की आप सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दी है।
छोटी फिल्मों का बड़ा असर

छोटी फिल्मों का बड़ा असर

फिल्म निर्माता शिरीष कुंदर की आने वाली लघु फिल्म कीर्ति में अभिनेता मनोज वाजपेयी और राधिका आप्टे नजर आएंगे। यह फिल्म एक मनोवैज्ञानिक थ्रिलर पर आधारित होगी। राधिका आप्टे पहले भी कई लघु फिल्मों में काम कर चुकी हैं।
रोहित आत्महत्याः दलित - गैर दलित के बीच मुद्दे को फंसाने का दांव

रोहित आत्महत्याः दलित - गैर दलित के बीच मुद्दे को फंसाने का दांव

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) में उत्पीड़न की वजह से आत्महत्या करने वाले छात्र रोहित वेमुला को इंसाफ दिलाने के लिए देश भर से उठ रही आवाजें
रोहित की आत्महत्या के खिलाफ आक्रोश की गूंज कई देशों में

रोहित की आत्महत्या के खिलाफ आक्रोश की गूंज कई देशों में

अमेरिका से लेकर लंदन और रोम में विरोध प्रदर्शनों में भारत में दलित छात्रों के उत्पीड़न का मुद्दा बना अंतर्राष्ट्रीय चर्चा का विषय
खिड़कियां थिएटर उत्सव

खिड़कियां थिएटर उत्सव

मुंबई में खिड़कियां थिएटर उत्सव की धूम रहती है। रंगमंच के कलाकारों के साथ बॉलीवुड के सितारे में इसमें शामिल होना गर्व समझते हैं।
यह औरतों का हक है या गुलामी

यह औरतों का हक है या गुलामी

सोशल मीडिया की बहसें कहीं भी होने वाली बहसों से तेज और धारदार होती हैं। बोर्ड रूम में महिला कर्मचारी की मौजूदगी और इस मौजूदगी में भी यदि महिला गर्भवती है तो यह बहस कई बहसों को जन्म दे सकती है।
सच्ची प्रेम कहानी मांझी की

सच्ची प्रेम कहानी मांझी की

सच्ची घटनाओं को परदे पर उतारना अपने आप में मुश्किल काम है। वास्तविक चरित्र के बारे में दर्शकों की जानकारी कुछ ज्यादा ही होती है और वे फिल्म देखते वक्त भूल जाते हैं कि घटनाओं को परदे पर उतारने के लिए नाटकीयता का सहारा लेना जरूरी होता है। मांझी- द माउंटेन मैन इसी का उदाहरण है।
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