'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?
बुलंदशहर की रहने वाली रिहाना ने ससुराल वालों को अपना धर्म बदलने की धमकी दी है। तनावपूर्ण स्थिति का सामना कर रही मुस्लिम महिला रिहाना ने कहा कि अगर उसके ससुराल वालों ने उसे घर में घुसने नहीं दिया तो वह हिंदू धर्म अपना लेगी। इस मुस्लिम महिला की मदद के लिए एक हिन्दू संगठन भी आगे आया। हिंदू संगठन की ओर से मदद के आश्वासन के बाद महिला ने अपने शौहर के परिवार वालों को दूसरा धर्म अपनाने की धमकी दी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज कहा कि उसने धन शोधन के आरोपों और नोटबंदी के बाद 1000 फर्जी पहचान पत्रों का कथित तौर पर इस्तेमाल करके एक करोड़ रुपये के पुराने नोटों को नए नोटों में अवैध तरीके से बदलवाने के मामले में सूरत के फाइनेंसर किशोर भजियावाला के बेटे को गिरफ्तार किया है।
फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के तहत मिलने वाले विदेशी फंड का बड़ा हिस्सा झारखंड में धर्मांतरण कराने में उपयोग किया जा रहा है। पिछले तीन वर्षो में झारखंड में धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित स्कूलों को 3.10 अरब रुपये दान में मिले हैं। विशेष शाखा ने यह रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध कराई है। इसमें विदेशी फंड का उपयोग जबरन धर्म परिवर्तन के लिए किए जाने की आशंका जताई गई है। इसकी सीआइडी से जांच कराने की अनुशंसा की गई है।