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देश के स्वच्छता सेनानी से मुलाकात जिसे कोई शहीद का दर्जा भी नहीं देगा

देश के स्वच्छता सेनानी से मुलाकात जिसे कोई शहीद का दर्जा भी नहीं देगा

एक तरफ जहां स्वच्छता अभियान की ब्रांडिग जोरों पर है, वहीं सीवर के भीतर गंदगी साफ करने उतरे सफाई कर्मचारियों की मौतें दिल दहला रही हैं।
क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

क्या हिंसक भीड़ का कोई धर्म होता है?

'आवारा भीड़ के खतरे' नामक शीर्षक के अपने निबंध में हिन्दी साहित्य जगत के मूर्धन्य निबंधकार हरिशंकर परसाई जी लिखते हैं, "दिशाहीन, बेकार, हताश, नकार वादी और विध्वंस वादी युवकों की यह भीड़ खतरनाक होती। इसका उपयोग खतरनाक विचारधारा वाले व्यक्ति या समूह कर सकते हैं। इसी भीड़ का उपयोग नेपोलियन, हिटलर और मुसोलिनी जैसे लोगों ने किया था।"
अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

अगर हम 'झंडू बाम' की जात नहीं पूछते तो 'रूह अफजा' ने क्या बिगाड़ा है?

क्या हम हल्दीराम की भुजिया खाने से पहले यह छानबीन करेंगे कि उस कंपनी में हमारी जात-बिरादरी, धर्म के कितने लोग, किन-किन पदों पर हैं? क्या झंडुु बाम लगाने से पहले भी हम उसकी धर्म-जाति तय करते हैं? अगर ऐसा नहीं है तो फिर रूह अफजा ने क्या बिगाड़ा है। इसकी मिठास में नफरत की चासनी क्यों मिलाई जा रही है?
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