बीएसई और सीएमआईई द्वारा एकत्रित आंकड़ों के अनुसार अगस्त में देश में शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी की दर बढ कर 11.24 प्रतिशत रही जो ग्रामीण क्षेत्र के 9.18 प्रतिशत से अधिक है।
गोवा में महिला सशक्तीकरण की दिशा में सकारात्मक संकेत देखने को मिला है। दरअसल राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण :एनएफएचएस: में यह पाया गया है कि राज्य में 93.8 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी घर के फैसलों में होती है। एनएफएचएस आर्थिक सर्वेक्षण 2015-16 का एक हिस्सा है जिसे यहां चल रहे राज्य विधानसभा सत्र के दौरान पेश किया गया। हालिया सर्वेक्षण के आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि पिछले दशक से इस बार घर के फैसले लेने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
विदेशों में शिक्षा और स्वास्थ्य को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। लेकिन इससे उलट हमारे देश में इन दोनों क्षेत्रों पर घोर लापरवाही की जाती है। इसका एक सटीक उदाहरण विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में आपको मिल सकता है।
देश के ग्रामीण हिस्सों में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों में बेरोजगारी की दर बढ़ी है। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी छमाही सर्वे के ताजा आंकड़े बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दरों में कमी आई है लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले यहां बेरोजगारी अधिक है।
गांव के हालात बदलने और लोगों के लिए रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के कल 10 वर्ष पूरे होंगे। इस योजना पर अब तक 3.13 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। हालांकि उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़, मणिपुर जैसे कई राज्यों में इस योजना के कार्यान्वयन को लेकर भ्रष्टाचार एवं अनियमिताताओं की शिकायतें बाधक के रूप में उभर कर सामने आई हैं।
देश में पहली बार अशक्त लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव का आयोजन हो रहा है। इस आयोजन को भारत सरकार का सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय करा रहा है।
हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक भारत में शहरों की तुलना में गांवों में बच्चों का टीकाकरण कराने की दर बेहतर है जबकि पहले के अध्ययनों के परिणामों में इसके विपरीत बात कही गई थी। इसके साथ ही टीकाकरण की दर के मामले में मुसलमानों के बजाए हिंदू परिवारों के बच्चे बेहतर स्थिति में हैं।
इसी महीने जारी सामाजिक-आर्थिक-जाति जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़े देखकर हम दिल्ली में समुंदर खोजने लग गए। इन आंकड़ों के नुसार दिल्ली में मछली पकड़ने की मशीनी नौकाएं 14,468 परिवारों के पास हैं-बड़े समुद्र तटीय क्षेत्र वाले तमिलनाडु के 13,760 परिवारों के पास ऐसी नौकाओं से कहीं ज्यादा। और तमिलनाडु के बड़े तटीय भूभाग को पखारता विशाल समुंदर और उसमें दूर-दूर तक डूबती-उतराती, मछली मारने के लिए जाल फैलाती अनगिनत मशीनी और मानव चालित नौकाएं हमने आंखों देखी हैं।