देश की प्रमुख नीति-निर्माता संस्था नीति आयोग ने सरकारी तंत्र पर निर्भरता कम करने के लिए सार्वजनिक सेवाओं को निजी सेवाओं हाथों में सौंपने यानी आउटसोर्स कराने का सुझाव दिया है।
भारत की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी विप्रो ने 600 कर्मचारियों को निकाल दिया है। कंपनी ने “वार्षिक मूल्यांकन” के दौरान इन कर्मचारियों को “खराब प्रदर्शन” के आधार पर निकाला है। सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि कंपनी से छंटनी की प्रक्रिया अभी खत्म नहीं हुई है और निकाले जाने वालों की संख्या 2000 तक पहुंच सकती है।
सिविल सर्विस डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएएस अधिकारियों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि अफसर मोबाइल पर लगे रहते हैं, इसलिए अब मैंने बैठकों में फोन लाने पर रोक लगा दी है। अफसर हर फैसले को राष्ट्रहित की कसौटी पर तौलें और सत्य निष्ठा से काम करें। मैं आपके साथ खड़ा हूं। हम जो काम करे उसका नतीजा भी आना चाहिए।
होटल और रेस्टोरेंट में खाने पर लगने वाला सर्विस चार्ज आपको देना जरूरी नहीं होगा। यह उपभोक्ता की मर्जी पर होगा कि वह इसे दे या न दे। पीएमओ से हरी झंडी मिलने के बाद उपभोक्ता मंत्रालय ने इसके लिए गाइडलाइंस जारी कर दी है।
देश के सेवा क्षेत्र में मार्च में लगातार दूसरे महीने वृद्धि दर्ज की गई। अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ने और नये आर्डर मिलने के साथ साथ मुद्रास्फीति दबाव कम रहने से यह वृद्धि दर्ज की गई। एक मासिक सर्वेक्षण में यह परिणाम जारी किया गया है। इससे पहले पीएमआई के विनिर्माण क्षेत्र के सूचकांक में भी अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन :इसरो: के एक बेहद सुरक्षित और साफ कमरे में एक नई किस्म की जुगलबंदी बन रही है। निजी क्षेत्र के दल सरकारी इंजीनियरों के साथ मिलकर एक ऐसा उपग्रह बनाने का काम कर रहे हैं, जो जल्दी ही आसमान में स्थापित किया जाएगा।
सभी मौजूदा मोबाइल उपभोक्ताओं को जल्द ही अपना आधार आधारित पुन:प्रमाणन कराना पड़ सकता है। सरकार ने इस संबंध में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि देश में कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी सामाजिक न्याय प्रदान करने की जमीनी हकीकत निराशाजनक है। उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय के मामले में हम कहां खड़े हैं ? सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए कल्याण संबंधी कानून बनाए जाने और कदम उठाए जाने के 70 साल बाद भी यह एक सवाल है जो गणराज्य के लोग राज्य से पूछ सकते हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1987 के हाशिमपुरा नरसंहार में संलिप्त पुलिसकर्मियों की पहचान से जुड़े सबूतों के नष्ट होने के दावों और पीड़ितों के निकट परिजनों के लिए तय मुआवजे दूर के परिचितों को दिए जाने पर आज चिंता प्रकट की।