एक तरफ तो यह नीतियां किसान को कर्जदार बनाती है, तो वहीं दूसरी ओर किसानों को कम समर्थन मूल्य और खुले बाजार को ताकत देकर किसानों को ऐसी स्थिति में पंहुचाती है, जहां वे ब्याज तो छोड़िये, मूलधन भी चुकाने की स्थिति में नहीं रह जाते हैं।
संसद के दोनों सदनों में बुधवार को किसानों की खुदकुशी और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। मंगलवार को भी विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई थी।
पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में किसानों की आत्महत्या की घटनाएं थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। यूएसनगर जिले में ट्रैक्टर का लोन नहीं चुका पाने की वजह से किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। किसान की मौत से घर में कोहराम मचा हुआ है। फिलहाल किसान के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र और मध्य-प्रदेश में किसानों की आत्महत्या और आंदोलन ने देश भर को हिला कर रख दिया है। इस बीच झारखंड में भी एक किसान ने आत्महत्या ली है। जानकारी के मुताबिक कर्ज से परेशान होकर किसान ने मौत को गले लगाया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली ने छात्रों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने बड़ा कदम उठाया है। जानकारी के मुताबिक आईआईटी दिल्ली अब अपने पाठ्यक्रम में इस तरह से बदलाव का फैसला किया है कि यह पढ़ाई के दबाव से आत्महत्या की प्रवृत्ति को बंद करने में मददगार हो।
देश में किसानों की आत्महत्या के मामलों में व्यापक कमी आने संबंधी केंद्र सरकार के दावों से उच्चतम न्यायालय आज संतुष्ट नहीं हुआ और उसने कहा कि एक भी ऐसा मामला नहीं होना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने आठ साल पुरानी कृषि नीति पर फिर से गौर करने के बारे में केंद्र से जवाब मांगा है।