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स्‍मार्ट सिटी प्रोजेक्‍ट : लखनऊ और फरीदाबाद सहित 13 और शहर चमकेंगे

स्‍मार्ट सिटी प्रोजेक्‍ट : लखनऊ और फरीदाबाद सहित 13 और शहर चमकेंगे

स्‍मार्ट सिटी प्रोजेक्‍ट के तहत पहले चरण में 20 शहरों को शामिल करने के बाद केंद्र सरकार ने अब दूसरे चरण में 13 अन्‍य शहरों को शामिल किया है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने मंगलवार को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल नए शहरों की घोषणा की। नए शहरों में लखनऊ, भागलपुर और फरीदाबाद को चुना गया है। जबकि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून को शामिल नहीं किया गया है।
ईपीएफओ खाते की जमा राशि में देगा सस्‍ती दरों पर होम लोन

ईपीएफओ खाते की जमा राशि में देगा सस्‍ती दरों पर होम लोन

केंद्र की मोदी सरकार 2025 तक हर नागरिक को घर देने की योजना में जोर शाेर से जुटी हुई है। सरकार की इस योजना पर सेवानिवृत्ति कोष निकाय (ईपीएफओ) भी सहयोग करने जा रहा है। वह अपने पांच करोड़ से ज्यादा उपभोक्ताओं के लिए एक सस्ती आवासीय योजना लाने पर कार्य शुरु कर दिया है। ईपीएफओ की इस योजना के तहत आपको घर खरीदने के लिए अपने पीएफ खाते में जमा राशि के आधार पर सस्ती दरों में होम लोन मिलेगा।
बहस शुरु, क्या जल को समवर्ती सूची में शामिल कर लिया जाए

बहस शुरु, क्या जल को समवर्ती सूची में शामिल कर लिया जाए

भूजल स्तर में लगातार गिरावट आने, शहरों का विस्तार होने के बावजूद बुनियादी सुविधाओं की कमी, जलवायु परिवर्तन, देश के 20 राज्यों में जल विषाक्तता के बीच जल के समुचित उपयोग एवं संरक्षण को लेकर एक समग्र, व्यापक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग के साथ जल को संविधान की समवर्ती सूची में रखने के विचार पर बहस शुरू हो गई है।
पूर्ण राज्य के लिए केजरीवाल ने जारी किया मसौदा, मिलेंगे पीएम से

पूर्ण राज्य के लिए केजरीवाल ने जारी किया मसौदा, मिलेंगे पीएम से

केंद्र के साथ विवाद का एक और मुद्दा उठाते हुए आप सरकार ने दिल्ली को पूर्ण राज्य के दर्जे पर आज एक मसौदा विधेयक जारी किया जिसमें पुलिस, जमीन तथा नौकरशाही को प्रदेश सरकार के तहत लाने का प्रावधान है। इसपर 30 जून तक आमजन के सुझाव मांगे गए हैं।
गंगा में पानी हो रहा कम, निर्मल और अविरल धारा की कलकल हो जाएगी धीमी

गंगा में पानी हो रहा कम, निर्मल और अविरल धारा की कलकल हो जाएगी धीमी

किसी भी नदी की अविरल धारा बनाये रखने के लिए नदियों में देशांतरीय संयोजना एवं पर्याप्त प्रवाह जरूरी है लेकिन गंगा नदी में सर्दी और गर्मी के महीने में कई स्थानों पर पानी का प्रवाह रूक जाता है, साथ ही गंदे जल एवं औद्योगिक अपशिष्ट का प्रवाह जारी रहता है। इस चुनौती को ध्यान में रखते हुए नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की धारा की निर्मलता, पर्याप्त प्रवाह एवं स्वच्छता को बहाल करने को सरकार प्रमुखता दे रही है।
यमुना की किसे परवाह

यमुना की किसे परवाह

करोड़ों खर्च के बावजूद यमुना की सफाई दूर की कौड़ी, केंद्र सरकार की रीति-नीति सर्वाधिक दुखदायी यमुनोत्री से निकली यमुना दिल्ली पहुंचते ही दम तोड़ देती है और यहां से आगे चलता है दिल्ली का मल मूत्र और अपशिष्ट। दिल्ली क्षेत्र में यमुना के 22 किलोमीटर के सफर में राज्य के 18 बड़े नाले उसे नदी से बड़ा नाला बना कर उत्तर प्रदेश की ओर रवाना करते हैं।
जानिएं, क्‍यूं रालेगण सिद्धि में ही अन्‍ना का हुआ विरोध

जानिएं, क्‍यूं रालेगण सिद्धि में ही अन्‍ना का हुआ विरोध

अन्‍ना के जल संरक्षण मॉडल से उनके गांव वाले ही उनसे नाराज हो गए हैं। अन्‍ना के सामाजिक जीवन में शायद यह पहली बार हो रहा है। जब उनके अपने लाेगों ने ही उनका विरोध किया है। गांव के किसान वाटर लेबल में सुधार के लिए बोरवेल भरे जाने की अन्‍ना की मुहिम को दरकिनार करते हुए एकमत होकर कहा है कि हम हर बार अन्‍ना की नहीं सुनेंगे।
पानी के लिए त्राहिमाम

पानी के लिए त्राहिमाम

देश पानी के भीषण संकट से गुजर रहा है। मराठवाड़ा के हालात पर हर दिन चर्चा हो रही है। सुरक्षा बल के साथ वहां पानी की ट्रेन भेजी गई और कई लोग पूरे दिन में सिर्फ एक गिलास पानी पर रहने को मजबूर हैं। उत्तर प्रदेश में पानी हर साल संकट और तबाही का कारण बनता रहा है। किसी साल बाढ़ तो किसी साल सूखे की त्रासदी झेलने को मजबूर उार प्रदेश में गर्मी का मौसम शुरू होते ही 50 जिले सूखे की चपेट में आ गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो दशकों में कभी भी मार्च के अंत और अप्रैल के शुरुआती सप्ताह में ऐसे विकराल रूप में सूखा नहीं पड़ा। उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त की मानें तो राज्य के पचास जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है। ऐसे 21 जिले हैं जिसमें किसानों को 33 प्रतिशत फसल का नुकसान हुआ है। जहां तक सूखा पीड़ित क्षेत्रों के किसानों को सरकारी मदद का सवाल है, यह मदद उन्हीं किसानों को दी जाएगी जिनकी 33 प्रतिशत से अधिक फसल नष्ट हुई है। अभी मई और जून की भीषण गर्मी के दिनों में और भी जिलों के सूखा प्रभावित होने आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। पूर्वी उत्तर प्रदेश के चार मंडलों के बीच जिलों में पानी के स्रोत सूख चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार सबसे खतरनाक स्थिति भूगर्भ जल स्तर के औसतन छह से नौ फुट तक नीचे जाने के कारण उत्पन्न हुई है। इन जिलों के डेढ़ हजार से अधिक कुओं का जलस्तर न्यूनतम होने के कारण कुएं सूख गए हैं। 80 प्रतिशत से अधिक हैंडपंप सूख चुके हैं।
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