मुख्यमंत्री योगी और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, सपा सदस्यों क्रमशः यशवंत सिंह तथा बुक्कल नवाब द्वारा छोड़ी गयी सीटों के उपचुनाव में निर्वाचित हुए हैं।
किसी भी मंत्रिमंडल सदस्य का प्रदेश की विधान सभा अथवा विधान परिषद् का सदस्य होना अावश्यक है और यह सदस्यता मंत्री पद ग्रहण करने के 6 महीने के अन्दर होनी चाहिए।
महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास के लिए इसे काले दिन की तरह याद किया जाएगा। एक तरफ विधानभवन में विधायक और मंत्रियों के लिए आदर्श आचारसंहिता के लिए चर्चा की जा रही थी, दूसरी तरफ विधान परिषद सभापति के चेंबर के बाहर एक मंत्री और विधायक के बीच की तू तू मैं मैं, गुत्थम गुत्थी तक जा पहुंची। मामला इस हद तक बढ़ गया कि इन दोनों को एक दूसरे से दूर करने के लिए बाकी विधायकों को मध्यस्थता करनी पड़ी।
बिहार विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल कहे जा रहे राज्य विधानपरिषद के 24 सीटों के चुनाव में बाजी राजग के हाथ लगी है। इन 24 सीटों में से 12 सीटें सीधे राजग को मिली हैं जबकि एक सीट राजग समर्थित निर्दलीय के हाथ लगी है। राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर बहुप्रचारित जनता महागठबंधन के हाथ 10 सीटें आई हैं।
उच्चतम न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के कुल 24 स्थानों के एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल, चार साल और छह साल निर्धारित करने का निर्देश निर्वाचन आयोग को देने संबंधी पटना उच्च न्यायालय के फैसले पर आज रोक लगा दी। विधान परिषद के इन सदस्यों (एमएलसी) का निर्वाचन सात जुलाई को होना है।
जुलाई के पहले सप्ताह में होने वाले बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे की रिक्त 24 सीटों के चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा है। हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से पूछा है कि जो चुनाव कराए जा रहे हैं उसमें सदस्यों का कार्यकाल कितने दिनों के लिए होगा।