उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विपक्ष को मुद्दाविहीन बताते हुए कहा कि कुछ ताकतें विकास पर बहस करने के बजाय चीजों को गलत तरफ ले जाना चाहती हैं।
उड़ी हमले की पृष्ठभूमि में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पड़ोसी देश की 19 लड़कियां मंगलवार की रात चंडीगढ़ पहुंचीं। इन लड़कियों का मानना है कि जंग का यह अफसाना सिर्फ हमारी सरकारों और मीडिया तक सीमित है जबकि सरहद के दोनों तरफ की आवाम को अमन चाहिए।
लोकसभा-राज्य विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ कराने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुहिम पर सरकार ने जनता से राय मांगी है। इस पर राजनीतिक हलकों में ज्यादा उत्साह नहीं हैं। बहुत सारे राजनीतिक दलों ने इसे अव्यवहारिक करार दिया है। लोकसभा में विपक्षी दल कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि यह अव्यवहारिक है। यह किस तरह होगा?
क्या लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना वांछित है। इस सवाल के साथ-साथ सरकार ने इसी मुद्दे से जुड़े अन्य कई सवालों को अपनी वेबसाइट माईगोव डॉट कॉम पर पोस्ट किया है ताकि वह आम जनता समेत सभी लोगों के विचार जान सके। इस मुद्दे पर अपने विचार देने की अंतिम तिथि 15 अक्तूबर है।
केंद्र सरकार जनता को एक और अधिकार देने जा रही है। जनता को अब पद्म पुरस्कारों के लिए किसी भी हस्ती और लब्धप्रतिष्ठ के नाम की सिफारिश करने का अधिकार मिलने वाला है। संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पहली बार जनता को ये अधिकार मिल रहा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि देश सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए तैयार नहीं है और सरकार इन बैंकों को मजबूत बनाने के काम को सर्वाेच्च प्राथमिकता दे रही है। जेटली ने यह भी कहा कि आईडीबीआई बैंक को छोड़कर बाकी सरकारी बैंकों का सार्वजनिक स्वरूप बना रहेगा।
मध्यप्रदेश में आपराधिक इतिहास वाले नेताओं के लिए बूरी खबर है। राज्य में किस नेता के खिलाफ किस तरह का आपराधिक मामला दर्ज है और उसमें अब तक क्या कार्रवाई हुई, पुलिस इसकी रिपोर्ट तैयार कर रही है।
सरकार को अगले छह महीने में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया आगे बढ़ाने की उम्मीद है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या ने कहा कि इसके अलावा सरकार उन बीमार कंपनियों को बंद करने पर भी विचार कर रही है जिनका पुनरोद्धार संभव नहीं है।
ब्रिटेन सरकार की यूरोपीय संघ से निकलने की प्रक्रिया की शुरुआत कानूनी चुनौतियों से घिर गई है। एक विधि कंपनी ने घोषणा की है कि संसदीय अधिनियम के बिना इस प्रक्रिया को शुरू नहीं किया जा सकता।