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हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

हम असहिष्णुता के लिए सहिष्णु हैं – प्रो. सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफ्रेसर अमर्त्य सेन ने अपने नाम ‘अमर्त्य’ से अपनी बात शुरू करते हुए बताया कि कैसे गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने उनका नाम रखा और अपने चाचा जोतिर्मय सेन के अंग्रेजों की गुलामी के प्रति संघर्ष जारी रखा ताकि देश आजाद हो सके। लेकिन क्या वाकई देश वैसा ‘आजाद’ हुआ है। यह बात उन्होंने एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के राजेन्द्र माथुर स्मृति व्याख्यानमाला में कहे। उन्होंने इंडियन पीनल कोड से बात शुरू करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के संदर्भ में बहुत सी बाते रखीं।
हमारे लिए तो यही ऑस्कर है

हमारे लिए तो यही ऑस्कर है

क्वांटिको धारावाहिक के बाद प्रियंका चोपड़ा की टोपी में एक और पर लग गया है। अब वह ऑस्कर पुरस्कार समारोह में प्रेजेंटर के रूप में नजर आएंगी।
सलमान ने छीनी शाहरूख की जगह

सलमान ने छीनी शाहरूख की जगह

फिल्मफेयर अवॉर्ड का बेसब्री से इंतजार रहता है। कार्यक्रम के होस्ट शाहरूख की चुटीली बातें और शानदार स्टाइल पर उतनी ही नजर रहती है, जितनी अवॉर्ड विजेताओं पर।
तिब्बत जरूर स्वतंत्र होगा – लोबसांग सांगे

तिब्बत जरूर स्वतंत्र होगा – लोबसांग सांगे

‘शक्तिशाली चीनी ताकत से तिब्बत अपने अहिंसात्मक संघर्ष के जरिए उसी तरह स्वतंत्र होकर रहेगा जैसे भारत, दक्षिण अफ्रीका आदि ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र हो गए।’ यह बात तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांगे ने आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित ‘आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान’ में कही।
मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

मैं काल्पनिक नहीं प्रामाणिक पर भरोसा करता हूं-रामदरश मिश्र

गीत, कविता, कहानियां, गजल, निबंध हर विधा में रामदरश मिश्र ने अपनी कलम चलाई है। वह नामी साहित्यकार से पहले संवेदनशील, उदार, स्नेहशील, सहज और सहृदयी व्यक्तित्व के स्वामी हैं। सन 2015 का साहित्य अकादमी पुरस्कार उनकी पुस्तक आग की हंसी के लिए देने की घोषणा हुई है। इस मौके पर साहित्य अकादमी, दिल्ली, के सभागार रामदरश मिश्र जी ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने पाठकों, प्रशंसकों से रूबरू हुए।
ये फिल्में नहीं देखीं तो कुछ नहीं देखा

ये फिल्में नहीं देखीं तो कुछ नहीं देखा

भारतीय और विश्व सिनेमा ऐसा समुद्र है जिसमें जितने गोते लगाए जाएं, डूबते ही जाते हैं। हर साल पूरे विश्व में हजारों की संख्या में फिल्में बनती हैं, कुछ हिट होती है कुछ फ्लॉप और कुछ समय पर अंकित हो जाती है। कोई फिल्म फ्लॉप है इसका मतलब यह नहीं कि उसमें कुछ नहीं था। कभी-कभी फिल्में नहीं चलतीं और दर्शकों के दिल पर छाप छोड़ जाती हैं। कुछ खास फिल्मों की सूची आउटलुक के लिए लेखक और आलोचक अनुपमा चोपड़ा, लेखक और फिल्म इतिहासकार जय अर्जुन सिंह, फिल्मकार और आलोचक श्रीनिवास भाष्यम और फिल्म निर्देशक श्रीराम राघवन ने बनाई है। इन फिल्मों को जरूर देखिए। यह फिल्म सूची की पहली किस्त है। कल जानिए दूसरी किस्त में कुछ और खास फिल्में
फिल्मफेयर अवॉर्ड टिकट किस्तों में

फिल्मफेयर अवॉर्ड टिकट किस्तों में

बॉलीवुड का सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड फिल्मफेयर के प्रति हमेशा से अलग तरह की चाहत रही है। फिल्मफेयर के 61 साल के इतिहास में पहली बार साधारण दर्शक इसका हिस्सा बन पाएंगे।
आदित्य-रानी की आदिरा

आदित्य-रानी की आदिरा

एक वक्त था जब रानी मुखर्जी और आदित्य चोपड़ा अपना इश्क स्वीकारने को तैयार नहीं थे। फिर बहुत दिनों बाद खबर आई कि शादी हो गई है। और अब ढोल ढमाके के साथ आदिरा बेबी के कारण फिर चर्चा है कि रानी मुखर्जी मम्मी और आदित्य चोपड़ा पापा हो गए हैं।
प्रियंका के कुनबे में 40 लाख सदस्य

प्रियंका के कुनबे में 40 लाख सदस्य

प्रियंका चोपड़ा के प्रशंसक नए-नए रेकॉर्ड बनाते रहते हैं। इस बार 40 लाख लोगों ने मिल कर एक नया कुनबा बना लिया है। इंस्टाग्राम पर उनके फॉलोअर्स की यही संख्या है।
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