मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।
राजनीतिक-आर्थिक-सामाजिक सत्ता क्रम को नियंत्रित करने वाले वर्गों, समूहों, समुदायों और संस्थाओं के इस्तेमाल की भाषा में उनके वर्चस्ववादी पूर्वग्रहों के शब्द-संकेत देखे और व्याख्यायित किए जा सकते हैं। भारत की आजादी के 68 वर्ष बीतने पर हमारे राजनीतिक और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के चालू विमर्श में हम ऐसे दो चलताऊ जुमलों की निशानदेही करना चाहेंगे जिनके निहितार्थ हमारी स्वतंत्रता सीमित करने के संदर्भ में गंभीर हैं।
आईएस के चंगुल से रिहा होकर भारत पहुंचे लक्ष्मीकांत और विजय कुमार ने बताया कि शिक्षक होने के नाते उन्हें प्रताड़ित नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर आप विश्वविद्यालय के शिक्षक हो तो आपने हमारे छात्रों को पढ़ाया होगा, इसलिए हम आपको छोड़ रहे हैं। आप भारत जाकर इस्लाम अपना सकते हैं।
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) अपनी वह विवादास्पद सूची वापस लेने का फैसला किया है जिनमें कथित आपत्तिजन शब्द शामिल किए गए थे और इन शब्दों का इस्तेमाल फिल्मों में करने की मनाही की गई थी।
संजीव चुतर्वेदी और अंशु गुप्ता को इस साल का रैमन मैगसायसाय सम्मान देने की घोषणा की गई है। संजीव चतुर्वेदी ने एम्स में मु्ख्य सतर्कता अधिकारी रहते हुए भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया। अंशु गुप्ता गूंज संस्था की संस्थापक हैं।
दक्षिणेश्वर (कोलकाता) में जन्म। कोलकाता से बी. कॉम. एडवांस एकाउन्ट्स में प्रथम श्रेणी में आनर्स। रांची से एल.एल.बी। मुख्य धारा की सभी पत्रिकाओं में लगभग तीस कहानियां प्रकाशित। बीज नाम से एक कथा संग्रह। वर्तमान साहित्य का कृष्ण प्रताप स्मृति सम्मान। फिलवक्त आसनसोल, पश्चिम बंगाल में निवास और स्वतंत्र लेखन।
भारत के प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक मणि रत्नम को न्यूयॉर्क का प्रतिष्ठित संग्रहालय विशेष सम्मान देगा। इस मौके पर रत्नम की तीन फिल्में रोजा, बॉम्बे और दिल से भी यहां दिखाई जाएगी।
अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से सम्मान ग्रहण करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हम सब भारतीयों के लिए गर्व का दिन है। अगर अटलजी का स्वास्थ्य ठीक होता और वह यहां मौजूद होते तब यह अवसर कुछ अलग ही होता।
अब तक कुल इक्कीस पुस्तकें प्रकाशित। तेरह कहानी संग्रह, 3 उपन्यास, 3 नाटक और 2 वैचारिक लेखों का संग्रह। कुछ कहानियों का फ्रेंच, स्पैनिश, अंग्रेजी, जर्मन, तेलुगु, मलयालम, तमिल, गुजराती, उर्दू, नेपाली, मराठी, मगही आदि भाषाओं में अनुवाद। कुछ कहानियों के टीवी रूपांतरण टेलीविजन के विभिन्न चैनलों पर प्रसारित। नाटकों का आकाशवाणी से प्रसारण और विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न शहरों में मंचन।
राधाकृष्ण पुरस्कार, विजय वर्मा कथा सम्मान, बिहार सरकार राजभाषा सम्मान, भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सर्वश्रेष्ठ चयन के आधार पर युवा लेखक प्रकाशन सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, झारखंड साहित्य सेवी सम्मान, स्वदेश स्मृति सम्मान, आनंद सागर स्मृति कथाक्रम सम्मान 2013 आदि।