गुजरात में पटेल आंदोलन की पहचान बने हार्दिक पटेल की तर्ज पर जाट समुदाय ने भी सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग तेज करने का फैसला किया है।
गुजरात में अराजकता का नया चेहरा उभरकर सामने आया है जिसकी भाषा तोगड़िया सी है और कार्यशैली केजरीवाल जैसी। जो बंदूक और रिवॉल्वर से प्यार करता है और जिसके समर्थक ओडी तथा मर्सिडीज में बैठकर आरक्षण मांगने आते हैं। कानून उनके लिए कुछ भी नहीं है, अगर उन्हें मनमानी करने से रोका जाता है तो दंगा-फसाद से भी परहेज नहीं करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बावजूद गुजरात बंद के दौरान हिंसा भड़की। पटेल आरक्षण आंदोलन की आग पूरे राज्य में फ़ैल रही है। अभी तक 9 लोगोँ के मारे जाने और सैकड़ों के घायल होने की खबर हे। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी नेताओं, पुलिस और सरकारी संपत्ति को निशाना बनाया। गृह राज्य मंत्री राजनी पटेल के दफ्तर को उग्र भीड़ ने आग के हवाले कर दिया। हार्दिक पटेल ने मौजूदा स्थिति के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। गुजरात में हालात पर काबू पाने के लिए सेना की मदद ली जा रही है।
अमेरिका के टेनेसी में दो नौसेना केंद्रों पर हुई गोलीबारी में चार मरीन मारे गए जबकि पुलिस ने एक बंदूकधारी व्यक्ति को मार गिराया है। अधिकारियों ने इसे घरेलू आतंकवाद की घटना करार दिया है। घटना के बाद अमेरिका में सिख समुदाय के लोगों को सावधनी बरतने को कहा गया है क्योंकि एक दाढ़ी वाले मुस्लिम युवक ने इस वारदात को अंजाम दिया है।
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ब्रिटेन में रहने वाले उस सिख अलगाववादी नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना चाहती थीं जिस पर इंदिरा गांधी की हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। लेकिन राष्ट्रमंडल नागरिकों के बारे में ब्रिटेन के एक कानून के कारण वह उस सिख को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध को पूरा नहीं कर पाईं थीं। गुरुवार को सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेजों में यह बात सामने आई है।
फ्लोरिडा स्थित वॉल्ट डिज्नी वलर्ड में काम करने वाले अमेरिकी मूल के जिस सिख अमेरिकी कर्मचारी को उसके धार्मिक प्रतीकों के चलते मेहमानों के सामने काम करने से सात साल तक रोककर रखा गया था, उसे एक महत्वपूर्ण जीत हासिल हुई है। अब कंपनी उसके साथ किए जाने वाले अलगाव को खत्म करने और उसके धार्मिक मतों को स्वीकार करने के लिए राजी हो गई है।
कांग्रेस नेताओं ने मोदी सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं, जिसका मुकाबले करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि किसी भी समुदाय के खिलाफ हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।