दिल्ली में बलात्कार पीड़िता की ‘टू फिंगर जांच’ की अनुमति देने के एक दिन बाद ही आम आदमी पार्टी की सरकार ने चौतरफा विरोध के बाद इससे हाथ पीछे खींच लिए हैं।
दिल्ली स्थित गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति (जीएसडीएस) को जल्द ही अपना नया डायरेक्टर मिल सकता है। एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक अखबार की मानें तो केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाली इस स्वायत्त संस्था के निदेशक पद के लिए मोदी सरकार ने ‘योग्य’ उम्मीदवार का चयन कर लिया है।
पर्यावरण से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्रीनपीस इंडिया को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। संस्था के दो खातों पर लगी रोक हट गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने संस्था को इन खातों के जरिए घरेलू चंदा लेने और इनके इस्तेमाल की छूट दी है।
किसी कंपनी या संस्थान में काम करने वाले कर्मचारी अब पांच साल पहले अपनी भविष्य निधि (पीएफ) राशि नहीं निकाल सकते यदि वह राशि 30 हजार रुपये से अधिक है। ऐसा करने वाले कर्मचारियों को 10 प्रतिशत से लेकर 34.608 प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर (टीडीएस) देना होगा।
बैंक खातों पर रोक और रजिस्ट्रेशन निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट ने ग्रीनपीस इंडिया की याचिका मंजूर कर ली है। इस मामले में हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय और कई बैंकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
ब्रिटेन में डेविड कैमरन की कंजरवेटिव पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल गया है। लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रहे कैमरन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी है।
ब्रिटेन के चुनावों की असली कहानी दो समांतर रुझानों की कहानी है। एक रुझान केंद्रीकरण और स्थिरता की तरफ है। दूसरा रुझान विकेंद्रीकरण की ओर है। कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत दिलाने में पहले रुझान का हाथ तो स्पष्ट है लेकिन दूसरे रुझान ने भी उसे उतनी ही ताकत पहुंचाई। स्कॉटलैंड में स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को मिली अपूर्व सफलता, उस तरह की सफलता जैसी दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मिली है, दूसरे रुझान की ताकत का संकेत है। यह विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक संघ यूनाइटेड किंगडम के ढांचे को पुनर्परिभाषित करेगा। इस दूसरे रूझान ने स्कॉटलैंड में लेबर पार्टी की जड़ खोद दी और वेल्स में भी स्थानीय दल प्लेड सिमरू को मिले वोटों ने लेबर पार्टी के ही वोट काटे। जब विकेंद्रीकरण के हामी स्थानीय दलों ने मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी का जनाधार और एक हद तक वैचारिक आधार भी चुरा लिया तो सत्तारूढ कंजरवेटिव पार्टी को फायदा मिलना ही था।
राज्यसभा में शुक्रवार को कांग्रेस के सदस्यों ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के इस्तीफे की मांग करते हुए हंगामा किया जिससे शून्यकाल में सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित हुई।