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हाई कोर्ट ने सुनंदा पुष्कर मामले की जांच पर पूछा केंद्र का रुख

हाई कोर्ट ने सुनंदा पुष्कर मामले की जांच पर पूछा केंद्र का रुख

सुनंदा पुष्कर मामले की जांच तीन साल से लटकी पड़ी है। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस हत्याकांड की एसआईटी जांच के मामले में केंद्र सरकार से जबाव तलब किया है। याचिकाकर्ता भाजपा सांसद सुब्रम्यणयम स्वामी ने एसआईटी जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की है। मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए स्पष्ट कानून बनाए सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा,चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए स्पष्ट कानून बनाए सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि संसद को ऐसे कानून बनाने चाहिए जिससे चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। कोर्ट ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए स्पष्ट नियम हों क्योंकि चुनाव आयोग ही निष्पक्ष चुनाव कराने में बेहद अहम भूमिका निभाता है।
पशु बिक्री अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया केंद्र सरकार को नोटिस

पशु बिक्री अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया केंद्र सरकार को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश में पशु बिक्री बैन के खिलाफ सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के 11 जुलाई की तारीख तय की है।
बीफ फेस्ट: आईआईटी मद्रास के स्कॉलर पर हमला करने के मामले में 9 गिरफ्तार

बीफ फेस्ट: आईआईटी मद्रास के स्कॉलर पर हमला करने के मामले में 9 गिरफ्तार

आईआईटी मद्रास में बीफ फेस्ट का आयोजन करने वाले पीएचडी स्कॉलर को पीटने के मामले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पशु वध को लेकर केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास हाईकोर्ट का स्टे

पशु वध को लेकर केंद्र की अधिसूचना पर मद्रास हाईकोर्ट का स्टे

मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बैंच ने केंद्र सरकार के पशु मंडियों में वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के विवादास्पद फैसले पर 4 हफ्तों के लिए रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस फैसले पर चार हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। गौरतलब है कि कई राज्य सरकारें केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही थी।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का निधन

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का निधन

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का गुरुवार को दिल्ली के एम्स में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार चल रहे थे। मध्य‍ प्रदेश के रहने वाले दवे 60 वर्ष के थे। संघ से जुड़े दवे को पिछले मंत्रिमंडल विस्तार में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट में जगह दी थी।
काम के प्रति समर्पण और सादा जीवन थी अनिल दवे की खासियत

काम के प्रति समर्पण और सादा जीवन थी अनिल दवे की खासियत

काम के प्रति समर्पण और सादा जीवन अनिल माधव दवे की खासियत रही है। पर्यावरण संरक्षण में उन्होंने अपना सबकुछ अर्पित कर दिया था। इसी वजह से पीएम नरेंद्र मोदी ने कै‍बिनेट में जगह देकर उन्हेंने पर्यावरण को और बेहतर करने का जिम्मा दिया था। दवे ने मां नर्मदा की काफी सेवा की। नर्मदा के संरक्षण में उनकी उल्लेेखनीय भूमिका, उनके सामाजिक सरोकार की व्यांख्या करती है। मुस्कान के साथ सरल छवि वाले दवे पूरी तरह से कर्मयोगी थे।
अनिल माधव दवे: बिना कुछ कहे गुजर गया 'नर्मदा समग्र' का यात्री

अनिल माधव दवे: बिना कुछ कहे गुजर गया 'नर्मदा समग्र' का यात्री

अनिल माधव दवे देश के पर्यावरण मंत्री बनने से पहले पर्यावरण के समर्पित कार्यकर्ता थे। सैकड़ों-हजारों वर्षों से चली आ रही नर्मदा यात्रा को उन्होंने समग्र दृष्टिकाेेेण दिया था। लेकिन नर्मदा पु्त्र दवे की जीवन यात्रा पर इतनी छोटी होगी, किसी को आभास नहीं था।
मध्यप्रदेश में अनिल दवे की रणनीति से मिली थी भाजपा को सत्ता

मध्यप्रदेश में अनिल दवे की रणनीति से मिली थी भाजपा को सत्ता

अनिल माधव दवे, एक शौकिया पायलट, लेखक, पर्यावरणविद, नदी संरक्षणवादी, एक सांसद, पर्यावरण मंत्री और विभिन्न भूमिकाओं के लिए पहचाने जाते रहे हैं। संघ से ताल्लुक रखने वाले अनिल दवे को एक प्रखर प्रवक्ता के तौर पर जाना जाता था। पर्यावरणविद अनिल माधव दवे का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर गांव में 6 जुलाई 1956 को हुआ था।
खेती में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को रोका जाय: दवे

खेती में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को रोका जाय: दवे

केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री :स्वतंत्र प्रभार: अनिल माधव दवे ने प्राकृतिक खेती को विशेष रूप से नर्मदा नदी के बेल्ट में बड़ी तादात में बढ़ावा देने का समर्थन करते हुए सोमवार को कहा कि खेती में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को रोका जाये, ताकि समूचे देश के कृषि क्षेत्र में उपयोग किये जा रहे रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभावों से लोगों को बचाया जा सके।
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