केंद्र ने रबी फसल की खरीद में सीधे किसानों के खाते में पैसा डालकर पंजाब और हरियाणा की मंडी और आढ़ती व्यवस्था पर की चोट
कोविड-19 इलाज का स्टैण्डर्ड प्रोटोकोल जरूरी, उसकी निगरानी एक शीर्ष अथॉरिटी को देनी होगी
भगवान किसी को भी ऐसा दिन नहीं दिखाए। लेकिन कुछ परिवार ऐसे हैं जिन्हें वह दिन देखना पड़ा, जिसकी कल्पना कोई अपने दुश्मन के लिए भी नहीं करता। कोरोना ने कई परिवारों को एक झटके में तबाह कर दिया। किसी के माता-पिता, किसी के भैया-भाभी तो किसी के बेटे-बहू अकाल मौत के शिकार हो गए। यहां हम उन परिवारों के बारे में बता रहे हैं जहां एकाधिक मौतें हुईं। इन परिवारों को इस गम से लड़ने की शक्ति मिले यही हमारी प्रार्थना है...
इस अकाल बेला में ऐसी बहुत-सी शख्सियतों को काल उठा ले गया, जिनकी उपस्थिति आश्वस्तकारी लगती थी, जिनके होने से बहुत-सी ओछी प्रवृत्तियां सहम जाती थीं। अलबत्ता, आज के दौर में धृष्टता करने वाले भी सुर्खियां बटोर लेते हैं, लेकिन बड़ी शख्सियतों की स्मृति भी हमें काफी समृद्ध कर जाती है। कोविड महामारी की दूसरी लहर और स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाली तथा सरकारी लापरवाही ने हमसे इतने लोगों को छीन लिया है, जिनकी गणना भी मुश्किल होती जा रही है। हर किसी के अपनों और परिचितों में कई सूने दायरे बन गए हैं। सामाजिक-सांस्कृतिक-कला जगत-राजनैतिक दायरे में कई खाली वृत्त बन गए हैं। और यह हर रोज जारी है। हमने कुछ के प्रति अपनी सांकेतिक श्रद्धांजलि इन पन्नों में जाहिर करने की कोशिश की है। कई शख्सियतें ऐसी भी हैं, जिनकी चर्चा हम नहीं कर पाए, लेकिन हम उन सबके प्रति अपना सिर नवाते हैं। कई शख्सियतें ऐसी भी हैं, जिनके बारे में विस्तार से या और बड़े अंदाज में बताया जाना चाहिए था। ऐसा कई वजहों से नहीं कर पाए, उसके लिए माफी।
महामारी से निपटने में सरकार की विफलता से शहरों में भारी नाराजगी लेकिन राजनैतिक नुकसान कितना, इसका अंदाजा अभी नहीं
महामारी की भयंकर दूसरी लहर में बेबस लोग अस्पताल, ऑक्सीजन, दवाइयों के अभाव में बेमौत मरने को मजबूर, सारा ढांचा चरमराया, सत्ता के अपने खेल में मस्त लापरवाह सरकार की खुली पोल
जब सिस्टम पूरी तरह से चरमरा गया हो, जो हर वक्त कहते थे कि हम आपके लिए आए हैं, उनसे उम्मीदें धराशायी हो गई हों, तब कुछ लोग मसीहा बनकर हमारे आपके बीच से ही निकलते हैं। उन्हें न तो किसी संक्रमण का डर है और न ही अपनी जमापूंजी खर्च होने का। उनका एक ही मकसद है- “मानवता की सेवा”। अपने इस मकसद के लिए वे किसी भी हद तक गुजरने को तैयार हैं। ऐसे ही कुछ लोगों के बारे में हम आपको बता रहे हैं, जिन्हें मसीहा, देवदूत कुछ भी कहा जा सकता है...
नवजोत सिंह सिद्धू की तीखी बयानबाजी के जवाब में मुख्यमंत्री अमरिंदर ने उन्हें चुनौती दे डाली
महामारी की दूसरी प्रचंड लहर के बीच चुनावी नतीजों की सियासी संभावनाएं
अहं के टकराव या व्यावसायिक वजहों से टूटती मशहूर जोड़ियों का राज
कोरोना की दूसरी लहर की पूरी आशंका के बावजूद सरकार ने परीक्षा के वैकल्पिक उपाय नहीं किए
इंग्लैंड से अपराधियों को भारत लाने का रिकॉर्ड अच्छा नहीं, इस हीरा कारोबारी के सामने अभी कई विकल्प बाकी
यह जीवनी इस अर्थ में भी असाधारण है कि इसमें कृष्णा जी द्वारा दी गई जानकारी का समावेश है।
क्या हम इस अदृश्य खतरे के प्रति लापरवाह हो गए थे या हमारे पास इससे निपटने के पर्याप्त साधन नहीं थे? इन बातों का निष्पक्ष मूल्यांकन तब होगा जब हम इस महामारी से उबर चुके होंगे। फिलहाल हमें एकजुट होकर इससे लड़ना और जीतना है। हम जीतेंगे
तीन ‘दुर्जनपुर’ वाला अकेला जनपद गोंडा