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मैगज़ीन डिटेल

मृणाल सेन/शताब्दी वर्ष: 'नागरिक' सेन की समझ और संवेदना

‘सोची-समझी अतार्किकता’ के सिनेमा के अनोखे चितेरे थे मृणाल सेन जिन्होंने भारतीय फिल्मी सफर को अद्वितीय पहचान दिलाई

जनादेश’23/कर्नाटक: कन्नड़ युद्ध क्षेत्रे

कांग्रेस-जद (एस) के साथ तीन तरफा लड़ाई में भाजपा अपने बिखरते कुनबे और सत्ता विरोधी लहर को मात देकर चुनाव जीत पाएगी?

मध्य प्रदेश: बाघ प्रदेश की कहानी तो अलग

नए सर्वे में बाघों की संख्या बढ़ी मगर बस्तियों की ओर उनकी आवाजाही से हमले और मृत्यु की संख्या भी बढ़ी, दो चीतों की मौत भी चिंताजनक

बिहार: आनंद दांव के पेचोखम

महागठबंधन आनंद मोहन की रिहाई के जरिये राजपूत वोट साधने की कोशिश कर रहा मगर दलित वोटों पर भी पुख्ता नजर, विपक्ष के अपने दांव

आवरण कथा/बेसहारा बुढ़ापा: अनचाहे दुख

समाज में वृद्धों के बढ़ते उत्पीड़न की खबरें व्यापक समस्या की ओर इशारा करती हैं, जिसकी जड़ें मुक्त बाजार और निरंकुश सत्ता तक जाती हैं

आवरण कथा/हरियाणा : अपने ही घर में बेदम बुजुर्ग

एनसीआरबी की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में बुजुर्गों की प्रताड़ना के 1056 मामले दर्ज हुए, पिछले वर्षों से इसमें भारी इजाफा

आवरण कथा/नजरिया: बुजुर्गों की उपेक्षा को अपराध माना जाए

इससे बड़ा अपराध क्या हो सकता है जब बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को दो वक्त की रोटी न दें

आवरण कथा/मीडिया: अपनों के रहते निपट अकेले

पत्रकार मधुश्री की अकेलेपन में हुई मौत बताती है कि शहर में दो मंजिलों के बीच नहीं बल्कि दो दिलों के बीच की दूरियां बढ़ गई हैं

आवरण कथा/बॉलीवुड: शोहरत, और फिर एकाकी अंत

अपने जमाने के सितारों के जीवन के आखिरी पल मुफलिसी और निराशा में बीते

आवरण कथा/फिल्मी कथा: दुनिया में कितना गम है...

समाज में हमारे इर्द-गिर्द ऐसी कई घटनाएं देखने को मिलती हैं, जहां वृद्ध माता-पिता को असहाय छोड़ दिया जाता है। सिनेमाई परदे पर इसके अक्स कई बार दिखे। ऐसी कुछ चुनिंदा हिंदी फिल्में :

आवरण कथा/बुढ़ापे का आश्रय: बुजुर्गियत का जवां अहसास

एक ऐसा क्लब जहां, उम्रदराज सिंगल परिवार की तरह रहने लगते हैं, जहां मौज-मस्ती भी है और एक-दूसरे के खयाल की भावना भी

क्रिकेट: विरासत का यॉर्कर

अर्जुन पर पिता सचिन तेंडुलकर की विरासत का दबाव मगर संभावनाएं तो हैं

सप्तरंग

ग्लैमर जगत की हलचल

राजनीति: लामबंदी के पक्ष

विपक्षी एकता की कोशिशें तेज हुईं मगर अभी है मीलों का फासला

पुस्तक समीक्षा: समय-बोध का शंखनाद

तीखी राजनैतिक संवेदना के कवि रंजीत वर्मा का नया कविता संग्रह

पुस्तक समीक्षा: परीखाने की सेनानी

शुरुआती महिला क्रांतिकारियों में से एक बेग़म हज़रत महल की हैरतंगेज दास्तान

प्रथम दृष्टि: बुजुर्ग होने की कीमत

लाखों बुजुर्ग ऐसे हैं जिन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। आधुनिकता की अंधी दौड़ में खून के रिश्तों को सींचने वाला जुड़ाव कमजोर हो रहा है

पत्र संपादक के नाम

भारत भर से आई पाठको की चिट्ठियां

शहरनामा/जमुई

चौबीसवें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्मस्थली

नजरिया: सवाल तो बड़े हैं

जरूरी तो यह है कि माफिया-नेता-अफसर गठजोड़ को ध्वस्त किया जाए

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