पचास और साठ के दशक के नायकत्व का आध्यात्मिक अतिक्रमण वह दुर्लभ तत्व है, जो राज कपूर और दिलीप कुमार से देव आनंद को अलग करता है, अंतिम सांस तक खुद को और हिंदी सिनेमा को पुनर्नवा बनाने का संघर्ष करते रहे राजू गाइड के स्वामी में रूपांतरण का एक सफरनामा
समाज और राजनीति पर पैनी नजर और हर नाइंसाफी के खिलाफ खुलकर खड़ा होने वाले बिरले फिल्मकार थे देव साहब
देव आनंद सिर्फ एक कलाकार का नहीं, बल्कि फसाने का नाम है
रूपहले परदे पर इश्क सिखाने वाला एक कलाकार दलगत राजनीति में तीसरा विकल्प देने की हद तक सक्रिय हो चुका था, यह जानना ही अपने आप में अचंभा पैदा करता है
बरसों से जंगल में रहने को अभिशप्त समुदाय में विकास गतिविधियों के माध्यम से भाजपा ने बढ़ाई अपनी पैठ
सोलर सिटी और ईको फ्रेंडली सुविधाओं के जरिये प्रदूषण कम करके टूरिज्म को बढ़ावा देने की कोशिश
एक व्यावसायिक मगर शिक्षाप्रद फिल्म जिसने युवाओं को सवाल पूछने के लिए प्रेरित किया
विशेष सत्र में लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को एक-तिहाई प्रतिनिधित्व देने का विधेयक पारित तो हुआ मगर यह दूर की कौड़ी
देश ही नहीं, यूरोप की कई महिलाएं भी गांधी की दीवानी बनीं और भारत को ही अपना सेवा- बना लिया
आज का क्रोनी पूंजीवाद हमें आर्थिक तानाशाही की तरफ ले जा रहा है, जो लोग इसके नकारात्मक प्रभावों के कारण आज तकलीफ में हैं, उन्हें हमें राहत पहुंचानी होगी
कविता हमारे भीतर उमड़ रहे गहरे भावों को खंगालकर उन्हें अभिव्यक्त करने का माध्यम है
वह अनिश्चय से भरे फिल्म उद्योग में आशावाद की बेमिसाल प्रतिमूर्ति थे, जिन्हें व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन के उतार-चढ़ाव से फर्क नहीं पड़ता था। निराशा उनके शब्दकोश का हिस्सा कभी नहीं रही