तमिलनाडु में द्रमुक और अन्ना द्रमुक के मोर्चों के बीच दो ध्रुवीय मुकाबले से हटकर तीन नेता एएमएमके के टीटीवी दिनकरन, एमएनएम के कमल हासन और नाम तामीजर काची के सीमन मैदान में हैं
बेहद लंबे और थकाऊ लोकसभा चुनाव आखिरी चरण में पहुंच चुके हैं और कांग्रेस अध्यक्ष 48 वर्षीय राहुल गांधी पर सबकी नजरें टिकी हैं। आखिर वे 2014 में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन से उबरकर इस बार पार्टी को मोर्चे पर सबसे आगे ले आए हैं। इस दौरान उन्हें गठजोडों के बनने-बिगड़ने, तीखी व्यक्तिगत टीका-टिप्पणियों, बड़बोली बयानबाजियों से दो-चार होना पड़ा। उन्होंेने पंजाब में प्रचार अभियान पर जाते हुए आउटलुक अंग्रेजी के संपादक रुबेन बनर्जी और पॉलिटिकल एडिटर भावना विज-अरोड़ा से अर्थव्यवस्थां से लेकर राजनीति तक तमाम मुद्दों पर बातचीत की। प्रमुख अंशः
पहले असंगठित क्षेत्र का आंकड़ा संदिग्ध था लेकिन अब संगठित क्षेत्र के आंकड़ों पर भी संदेह, नीतियां विकास और रोजगार की संख्या पर आधारित होती हैं, इसलिए अब वे भी सवालों के घेरे में
सत्तारूढ़ और प्रमुख नेताओं के आचार संहिता उल्लंघन पर दो-एक से फैसले, नमो टीवी विवाद ऐसे अनेक मामलों में चुनाव आयोग की साख पर गंभीर सवाल शायद ही कभी उठे हों। इन तमाम मामलों के साथ इलेक्टोरल बांड, फेक न्यूज, पेड न्यूज और सोशल मीडिया की नई चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने संपादक हरवीर सिंह और एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव से बातचीत में विस्तार से अपनी राय रखी। कुछ अंशः
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ पर कांग्रेस को आम चुनावों में भी विधानसभा चुनावों जैसी कामयाबी दिलाने की भारी चुनौती है, लेकिन भोपाल स्थित वल्लभ भवन के अपने दफ्तर में वे शांत और सुकून में दिखते हैं। उनकी मानें तो कहीं मोदी लहर नहीं है, सिर्फ झूठ की आंधी उठाने की कोशिश है लेकिन मध्य प्रदेश के मतदाता अबकी बार ठगे जाने को तैयार नहीं हैं। उन्हें पक्का यकीन है कि राज्य की कुल 29 संसदीय सीटों में 22 सीटें कांग्रेस जीतेगी। वे चुनाव बाद की योजनाओं में मशगूल हैं और किसानों और रोजगार के मुद्दों पर ध्यान लगा रहे हैं। उन्होंने संपादक हरवीर सिंह और विशेष संवाददाता रवि भोई से चुनावी मुद्दों के साथ बिजली की स्थिति, किसानों की समस्या, रोजगार, राज्य में निवेश के साथ आगामी योजनाओं और सरकार के भविष्य के बारे में भी विस्तार से बातचीत की। मुख्य अंशः
हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है कि जब कोई लगातार चिंतन करता है तो वह उसी तरह का हो जाता है। ईश्वर का चिंतन करने वाले और नाम जपने वाले अपना स्वरूप खोकर ईश्वर में लीन हो जाते हैं