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मैगज़ीन डिटेल

अगस्त की उमस में बाराबंकी

नए भारत की झलक आजादी के सपने के पूरा होने पर संदेह पैदा करती है

तनाव, बेचैनी और चिंताएं

फिजा में तनाव, बेचैनी और चिंताएं हैं। अर्थव्यवस्थाल का हर क्षेत्र मंदी की चपेट में है। सवाल है कि सबसे कुशल और अच्छा प्रशासन देने का दावा करने वाली सरकार के रहते ये हालात कैसे बने?

किस दुनिया के सपने देखे, कहां पहुंचे!

आज 'सुशिक्षित' जन लोकतंत्र से ऊब-से गए हैं, आजादी महानायक को समर्पित है

सिकुड़ती मुक्ति भयाकांत स्वतंत्रता

स्वतंत्रता के लिए जरूरी असहमति और अभिव्यक्ति की जगह कम होती जा रही है

मन के आंगन में आजादी के फूल

संविधान के तहत बनी सरकार चाहती है कि सब उसकी तरह चलें, उसकी ही मानें

अधिकारों पर अंकुश आसान नहीं

इतिहास गवाह है कि भारतीय समाज को राज्य की अधिक दखलंदाजी बर्दाश्त

समता ही अभारतीय तो स्वतंत्रता भी संदिग्ध

अमीर अगड़ी जाति के लोग हैं, इसलिए गैर-बराबरी बनाए रखना उनकी फितरत

स्वतंत्रता और भारतीय लोकतंत्र का आज

स्वतंत्रताओं का विस्तार ही लोकतंत्र है, पर आजादी के सिमटने से कई सवाल सामने

हमारी स्वराज यात्रा

सिद्धांतहीन राजनीति से लोकतंत्र के शरीर में सामंतवाद की आत्मा प्रवेश कर गई

प्यार का दूसरा नाम है आजादी

कुछ नई वर्जनाएं, कुछ नई मनाहियां इन दिनों बिना आवाज किए डर पैदा कर रहीं

हमारे समय में ‘स्वतंत्रता’

हिंसा या बल-प्रयोग का सहारा लेना लोकतंत्रीय तरीकों और भविष्य से विश्वासघात

सत्ताओं की अपनी लिबर्टी

आज देश की केंद्रीय सत्ता को ही सबसे अधिक अधिकारों की जरूरत लगती है

जंगे-आजादी में कलमकारों की कहानी

उपेक्षा के कारण आंदोलन में साहित्यकारों के विस्तृत योगदान को नहीं जाना जा सका

पहरा, पाबंदियां और खामोशी

श्रीनगर और अन्य शहरों में नाकेबंदी और संचार नेटवर्क पर पाबंदी जारी, 19 अगस्त को पत्थरबाजी की 50 से अधिक घटनाएं

इंडिया के लिए भारत में सुधार

सुधार अगर सरलीकरण के बजाय सरकारी नियंत्रण बढ़ाने का ही दूसरा नाम है, तो कृषि क्षेत्र का भला इन सुधारों से कैसे होगा?

“विपक्ष को हल्के में नहीं लेता”

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार दो साल पूरे करने वाली है और इसी अवधि में उन्होंने 1971 में अस्तित्व में आए राज्य की सियासत में बड़े नामों को मानो फीका कर दिया है। लोकसभा चुनावों में भारी हार के बाद कांग्रेस तो दिशाहारा दिख रही है, हालांकि वे कहते हैं कि विपक्ष्ाभ को हल्के में नहीं लेते। उनसे संपादक हरवीर सिंह और वरिष्ठ सहायक संपादक हरीश मानव ने राजनीति, अर्थव्यवस्था, राज्य की विशेष स्थिति जैसे तमाम विषयों पर बातचीत की। प्रमुख अंश :

एक सर्जक का सफर

यह पुस्तक जैनेन्द्र कुमार की जीवन-यात्रा का अंकन है

नामवर के प्रतिमान

मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद की साहित्यिक मासिक पत्रिका साक्षात्कार का अप्रैल-मई 2019 संयुक्तांक प्रख्यात आलोचक दिवंगत नामवर सिंह पर केंद्रित है

सवालों के बिना लोकतंत्र

अब अपने देश में होता यह है कि सरकार किसी बात का जवाब नहीं देती और जनता किसी बात पर सवाल नहीं उठाती

कभी-कभी ही मिलते हैं खय्याम

सिर्फ 40 फिल्मों में काम करने के बावजूद खय्याम सार्वकालिक महान संगीतकारों में शुमार

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