Advertisement

Search Result : "अक्षय तृतीया"

नहीं चमक सका रफ्तार सिंह

नहीं चमक सका रफ्तार सिंह

इस फिल्म का नाम सिंह इज ब्लिंग की बजाय सिंहनी इज ब्लिंग होना चाहिए। अगर फिल्म की दो सिंहनियों, सारा (एमी जैक्सन) और ऐमिली (लारा दत्ता) को निकाल दिया जाए तो इस 140 मिनट की फिल्म को 40 मिनट झेलना भी मुश्किल होगा।
अक्षय ने की मराठवाड़ा में मदद

अक्षय ने की मराठवाड़ा में मदद

नाना पाटेकर के बाद अक्षय दूसरे ऐसे अभिनेता हैं जो सूखा प्रभावित किसानों की मदद के लिए आगे आए हैं। महाराष्ट्र में विशेषकर मराठवाड़ा में भयंकर सूखे की स्थिति है। घोर कृषि संकट के कारण खुदकुशी करने वाले 180 किसानों के परिवारों को सिंह इज किंग के अभिनेता की आर्थिक सहायता मुहैया कराने की योजना है।
महत्वकांक्षाओं में उलझे ब्रदर्स

महत्वकांक्षाओं में उलझे ब्रदर्स

अक्षय कुमार बॉक्स ऑफिस के पावर हाउस हैं तो सिद्धार्थ मल्होत्रा भविष्य के सितारे। और जैकी श्रॉफ तो हैं ही दमखम दिखाने वाले। निर्देशक करण मल्होत्रा की ब्रदर्स में इन सभी सितारों को उनकी भूमिका निभाने का पर्याप्त मौका मिला है।
रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

रहस्यमय व्यापमं मौतों पर छह पर्दे

व्यापमं को घोटाला कहा जाए या डेथ-ट्रैप यानी मौत का जाल या फिर मौत का बरमूडा त्रिकोण...। एक बात साफ है कि इसके पास जाने वाले या इसमें शामिल लोगों की मौतों का आंकड़ा जिस तेजी से बढ़ा, उसने इसे भारत के सबसे रहस्यमय खौफनाक घोटाले में तब्दील कर दिया। ऐसा रहस्य जो बड़ी-बड़ी आपराधिक गाथाओं को मात देने को आतुर हो।
अक्षय के परिजनों ने शिवराज की मदद ठुकराई

अक्षय के परिजनों ने शिवराज की मदद ठुकराई

मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यावसायिक परीक्षा मंडल मामले की जांच करने मेघनगर (झाबुआ) गए दिवगंत पत्रकार अक्षय सिंह के परिवार वालों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मदद ठुकरा दी है। मुख्यमंत्री आज अक्षय के घर गए हुए थे। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार से उनकी मौत के कारणों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
पत्रकार अक्षय का अंतिम संस्‍कार, मौत पर संदेह कायम

पत्रकार अक्षय का अंतिम संस्‍कार, मौत पर संदेह कायम

व्‍यापमं घोटाले की पड़ताल करने गए इंडिया टुडे समूह के टीवी पत्रकार अक्षय सिंह की रहस्‍यमय मौत से मीडिया जगत में शोक और आक्रोश व्‍याप्‍त है। रविवार को दिल्‍ली के निगमबोध घाट पर हुए अक्षय के अंतिम संस्‍कार में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी समेत कई जाने-माने लोग शामिल हुए। लेकिन अभी तक उनकी मौत का कारण स्‍पष्‍ट नहीं हुआ है। इस बीच, मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मामले की एसआईटी से जांच कराने का भरोसा दिलाया है जबकि भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अक्षय की मौत हार्ट अटैक से होने का दावा कर रहे हैं।
सम्प्रति वार्ताः श्रूयन्ताम्!

सम्प्रति वार्ताः श्रूयन्ताम्!

दूरदर्शन द्वारा संस्कृत-समाचार प्रसारण की अवधि बढ़ाने के निर्णय पर कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ, क्योंकि संस्कृत मोदी सरकार के एजेंडे में है। इस निर्णय का निहितार्थ भी आसानी से समझ में आने वाला है, इसलिए इस पर सवाल भी उठेंगे ही। इस ऐलान के बाद लोगों के जेहन में सबसे पहला सवाल तो यह है कि संस्कृत में न्यूज बुलेटिनों और समाचार-चर्चा के कार्यक्रमों का दर्शक या श्रोता वर्ग कौन है? दूसरा सवाल यह है कि देश में कितने लोग ऐसे होंगे जो वास्तव में संस्कृत माध्यमों से इन कार्यक्रमों की बाट जोह रहे हैं? ये महज शोशा है या इसकी कोई ठोस जरूरत है?
समीक्षा गब्बर इज बैक

समीक्षा गब्बर इज बैक

अब तो कालिया को पूछना पड़ेगा, ‘तेरा क्या होगा गब्बर?’ पूरी फिल्म देखते हुए लगता है हीरो का नाम गब्बर सिर्फ इसलिए है कि शोले के कुछ कालजयी संवादों को दोबारा कहा जा सके। यह अलग बात है कि यहां गब्बर खलनायक नहीं नायक है
Advertisement
Advertisement
Advertisement