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Search Result : "अखाड़ा परिषद"

पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

पटेलों ने खोली गुजरात मॉडल की पोल

'अमिताभ बच्चन की बातों पर न जाएं। गुजरात से जुड़े उनके विज्ञापन झूठे हैं। कुछ दिन बिताओ हमारे गुजरात के देहातों में तो असलियत पता चल जाएगी। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। युवक सड़कों पर बेकार घूम रहे हैं। तलाटी तक की नौकरी के लिए लाखों रुपये की घूस देनी पड़ती है। क्या यही है गुजरात का विकास मॉडल ?’
प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

प्रतिरोध: देश भर में 'मुजफ्फरनगर बाकी है' का प्रदर्शन

2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म मुजफ्फरनगर बाकी है काफी चर्चा में रही है। यह फिल्म दंगे के दौरान के हालात और वहां के स्थानीय लोगों की भावनाओं का बखूबी इजहार करती है। फिल्म के जरिये उन तत्वों की तरफ इशारा किया गया है जो मुजफ्फरनगर के हालात के जिम्मेदार हैं। यही वजह है कि इस फिल्म का प्रदर्शन कई संगठनों के गले नहीं उतर रहा है। कई बार फिल्म के प्रदर्शन को बलपूर्वक रोकने की कोशिश की गई। ऐसे ही दमनकारी आक्रमणों के प्रतिरोध में फिल्म की टीम और अन्य कई संगठनों ने मिलकर एक ही दिन पूरे देश में फिल्म का प्रदर्शन किया।
मीडिया पर रोक के खिलाफ प्रेस परिषद ने सरकार को  लिखा पत्र

मीडिया पर रोक के खिलाफ प्रेस परिषद ने सरकार को लिखा पत्र

केंद्र सरकार ने सर्कुलर निकाल कर जिस तरह से पत्रकारों को सरकारी अधिकारियों से सीधे मिलने में रोक लगाई है, उस पर प्रेस परिषद से बकायदा पत्र लिख, अपनी चिंता का इजहार किया है
कांटों के बीच अपनों की चिंता

कांटों के बीच अपनों की चिंता

मनोज की कविताओं में समाज के विविध रंग दिखाई पड़ते हैं। परिवार के प्रति चिंता या अपनों की देखरेख की चिंता भी मनोज शब्दों में ऐसे बांधते हैं कि हर किसी को वह दुख साझा लगता है। सन 2008 के प्रतिष्ठित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के बाद भारतीय भाषा परिषद से तथापि जीवन नाम से काव्य संग्रह। कविताएं लिखने के अलावा अनुवाद के काम में संलग्न रहते हैं।
भारत ने जीती सस्‍ते आयोडिन नमक के पेटेंट की जंग

भारत ने जीती सस्‍ते आयोडिन नमक के पेटेंट की जंग

यह 21वीं सदी का नमक सत्याग्रह है जिस पर महात्मा गांधी को भी गर्व होता। भारत ने आयोडिन युक्त नमक उत्पादन को लेकर एक दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनी के खिलाफ पेटेंट की लड़ाई जीत ली है। नमक को लेकर यह लड़ाई भावनगर की एक सरकारी प्रयोगशाला ने जीती और दैनिक उपभोग के आयोडिन युक्त नमक बनाने के पेटेंट का नियंत्रण बहाल कर लिया। इस लड़ाई में बहुराष्ट्रीय कंपनी हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) को मात मिली।
नगा समझौते से आगे की चुनौतियां

नगा समझौते से आगे की चुनौतियां

नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (आई एम) के साथ शांति समझौता अशांत उत्तर पूर्व के, खासकर मणिपुर के टंखुल नगा बहुल इलाके में जहां उपरोक्त गुट का आधार है, एक हिस्से में शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इसके बाद अभी बहुत-सी जटिलताएं और चुनौतियां बाकी हैं। एनएससीएन (आईएम) का जनाधार नगालैंड के पड़ाेसी राज्यों में ज्यादा होने की वजह से असम और मणिपुर के एक तबके में यह आशंका बलवती हो रही है कि उनके राज्य के नगा बहुल इलाकों की बाबत किस कीमत पर फैसला हुआ है।
एमएलसी चुनाव में पिछड़ गया महागठबंधन, भाजपा का डंका

एमएलसी चुनाव में पिछड़ गया महागठबंधन, भाजपा का डंका

बिहार विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल कहे जा रहे राज्य विधानपरिषद के 24 सीटों के चुनाव में बाजी राजग के हाथ लगी है। इन 24 सीटों में से 12 सीटें सीधे राजग को मिली हैं जबकि एक सीट राजग समर्थित निर्दलीय के हाथ लगी है। राज्य ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर बहुप्रचारित जनता महागठबंधन के हाथ 10 सीटें आई हैं।
वसुंधरा राज में ललित मोदी को पद्म अवॉर्ड की सिफारिश

वसुंधरा राज में ललित मोदी को पद्म अवॉर्ड की सिफारिश

राजस्‍थान की मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे और आईपीएल के पूर्व कमिश्‍नर ललित मोदी के बीच गठजोड़ की रोज नई गांठें खुल रही हैं। अब वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल के दौरान ललित मोदी को पद्म पुरस्‍कार दिलाने की कोशिश का खुलासा हुआ है।
तो लॉटरी से दो साल में रिटायर होंगे एमएलसी!

तो लॉटरी से दो साल में रिटायर होंगे एमएलसी!

उच्चतम न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के कुल 24 स्थानों के एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल दो साल, चार साल और छह साल निर्धारित करने का निर्देश निर्वाचन आयोग को देने संबंधी पटना उच्च न्यायालय के फैसले पर आज रोक लगा दी। विधान परिषद के इन सदस्यों (एमएलसी) का निर्वाचन सात जुलाई को होना है।
आईसीएचआर पैनलः रोमिला थापर, इरफान हबीब आदि गए, ‘चीन्हो तो जानें’ आए

आईसीएचआर पैनलः रोमिला थापर, इरफान हबीब आदि गए, ‘चीन्हो तो जानें’ आए

जैसे चीजें चल रही हैं, भारतीय अनुसंधान परिषद का नाम जल्द ही भारतीय इतिहास गोलमाल परिषद कर देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर सबसे पहले पहचान की एक गड़बड़ी को लें। भारत के गजट में अधिसूचित किया गया कि किन्हीं वी.वी हरिदास को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद का नया सदस्य नियुक्त किया गया है जो ‘कालीकट में इतिहास के प्रोफेसर’ हैं। जब इन हरिदास महाशय ने हिचकते हुए आईसीएचआर फोन करके कहा कि वह इससे बहुत सम्मानित महसूस कर रहे हैं, तब पता चला कि यह वह हरिदास नहीं हैं जिनकी अनुशंसा मंत्रालय ने की थी। इतिहास में पीएचडी वी.वी हरिदास मंगलूर विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं। लेकिन यह तो कोई दूसरे पी.टी हरिदास थे जिन्हें परिषद के लिए मनोनीत किया गया था हालांकि वह पी.एच.डी नहीं थे।