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अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन खत्म करने की कैबिनेट सिफारिश

अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन खत्म करने की कैबिनेट सिफारिश

अरुणाचल प्रदेश में जारी राजनीतिक संकट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बुधवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात से पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वहां राष्ट्रपति शासन खत्म करने की सिफारिश कर डाली है। कांग्रेस का मानना है कि बतौर मुख्यमंत्री कलीखो पुल के शपथग्रहण के लिए उठाया जाने वाला कोई भी कदम असंवैधानिक होगा और इसी सिलसिले में कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिलने वाला है।
अरुणाचल: नई सरकार के गठन पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार

अरुणाचल: नई सरकार के गठन पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार

उच्चतम न्यायालय ने आज कांग्रेसी नेताओं के इस अनुरोध पर अंतरिम आदेश पारित करने से इंकार किया कि अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा को फिलहाल राष्ट्रपति शासन के अधीन इस राज्य में नई सरकार को शपथ दिलाने से रोका जाए।
चर्चाः लाट साहब को नेक सलाह | आलोक मेहता

चर्चाः लाट साहब को नेक सलाह | आलोक मेहता

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी बहुत सुलझे हुए अनुभवी और योग्य राजनेता हैं। इंदिरा गांधी से नरेंद्र मोदी तक के सत्ता काल में उन्होंने केंद्र-राज्य संबंधों एवं राज्यपालों की भूमिका को जाना-परखा है। इस दृष्टि से मंगलवार को श्री मुखर्जी ने राज्यपालों के सम्मेलन में किसी का नाम ‌लिए बिना नेक सलाह (निर्देश भी संभव) दी कि ‘संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को संविधान की पवित्रता को अक्षुण्‍ण रखना चाहिए।’
निष्पक्षता से हो राज्यपाल के अधिकारों का इस्तेमाल: सुप्रीम कोर्ट

निष्पक्षता से हो राज्यपाल के अधिकारों का इस्तेमाल: सुप्रीम कोर्ट

अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर सुनाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी मुख्यमंत्री के विशिष्ट अधिकार को राज्यपाल नहीं हड़प सकते। साथ ही अदालत ने कहा कि संविधान में राज्यपालों के सीमित अधिकार हैं जिनका इस्तेमाल लोकतंत्र की अक्षुण्णता सुनिश्चित करने के लिए न्यायोचित और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए।
अरुणाचल प्रदेशः तुकी ने सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका दायर की

अरुणाचल प्रदेशः तुकी ने सुप्रीम कोर्ट में नयी याचिका दायर की

अरूणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्राी नबाम तुकी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में नयी याचिका दायर की है। कांग्रेस नेता द्वारा दायर याचिका पर न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ द्वारा सोमवार को सुनवाई किए जाने की संभावना है।
अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन की मजबूरी बताए केंद्रः सुप्रीम कोर्ट

अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन की मजबूरी बताए केंद्रः सुप्रीम कोर्ट

अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख तय की है।
चर्चा: गणतंत्र की रोशनी पर बादल | आलोक मेहता

चर्चा: गणतंत्र की रोशनी पर बादल | आलोक मेहता

भारत में सूरज की पहली किरण अरुणाचल प्रदेश में दिखती है। अरुणाचल और सात पूर्वोत्तर राज्यों की सुंदरता, भोली-भाली जनता की मधुरता, शौर्य और संस्कृति की शक्ति भारत का गौरव बढ़ाती है। सुदूर अरुणाचल प्रदेश में हिंदी का पठन-पाठन और प्रयोग सबको प्रभावित करता है। अपराध संभवतः दुनिया में सबसे कम और जेल केवल प्रादेशिक व्यवस्‍था की दृष्टि से बने और कभी नहीं भरे।
अरुणाचल: राष्ट्रपति से मिले राजनाथ, कांग्रेस गई सुप्रीम कोर्ट

अरुणाचल: राष्ट्रपति से मिले राजनाथ, कांग्रेस गई सुप्रीम कोर्ट

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्रीय कैबिनेट के फैसले पर सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। मिली जानकारी के अनुसार मुलाकात में राजनाथ ने सरकार के फैसले के औचित्य पर राष्ट्रपति से चर्चा की है। इस बीच सरकार के रवैये सेे सख्त नाराज कांग्रेस ने इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
कैबिनेट ने की अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश

कैबिनेट ने की अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे अरुणाचल प्रदेश में आज राष्‍ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी है।
मोदी ने जो सबक बिहार में नहीं सीखा वो सबक असम सिखाएगा उन्हें- मणिशंकर अय्यर

मोदी ने जो सबक बिहार में नहीं सीखा वो सबक असम सिखाएगा उन्हें- मणिशंकर अय्यर

पूर्वोत्तर के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि असम एक ऐसा राज्य है, जहां अस्थिरता रही है। 70 के दशक में वहां भारी हंगामा रहा और 80 का दशक आते-आते हंगामा बढ़ता रहा। उसके समाधान के लिए, वहां लोकतंत्र लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जो कदम उठाए वह आज तक किसी ने नहीं उठाए। सन 1985 में वहां हंगामा करने वालों की जीत हुई थी, उन्होंने सरकार चलाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने असम को बरबाद करके छोड़ दिया। उनमें हुकूमत बनाए रखने की क्षमता नहीं थी। लेकिन यह लोकतंत्र है, यहां जो जनता चाहेगी उसी की सरकार बनेगी। बेहतर प्रदर्शन के आधार पर वोट मिलेंगे। आखिरकार जनता ने सही सरकार चुनी।
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