भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बातचीत के टलने के आसार लग रहे हैं क्योंकि दोनों ही पक्ष कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के मुद्दे पर उलझ गए हैं। भारत के सुझाव को दरकिनार करते हुए पाकिस्तान हुर्रियत नेताओं से मुलाकात पर अड़ा है।
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार सरताज अजीज के साथ दिल्ली में प्रस्तावित बैठक से पहले कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को नजरबंद कर लिया गया। हालांकि, मीरवाइज उमर फारूक, यासीन मलिक और शब्बीर शाह सहित अधिकांश हुर्रियत नेताओं को चंद घंटों के भीतर ही रिहा कर दिया गया है। बताया जाता है कि वरिष्ठ हुर्रियत नेता सैयद अली गिलानी पर पुलिस की निगरानी बरकरार है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अज़ीज़ से हुर्रियत नेताओं मुलाकात रोकने के लिए यह कार्रवाई की गई।
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए स्तर की वार्ता से पहले पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को बातचीत के लिए बुलाकर वार्ता को बड़ा झटका दिया है।
जम्मू एवं कश्मीर में शुक्रवार से शुरू हुई हिंसक झड़पें शनिवार को ईद के दिन भी जारी रहीं और अलगाववादियों ने कई जगह पाकिस्तान के झंडे लहराए। शनिवार को ईद की नमाज के बाद राज्य के अनंतनाग जिले और कई इलाकों में पथराव कर रहे युवकों तथा सुरक्षा बलों के बीच झड़प की घटनाएं हुईं। शहर के अंदरूनी इलाके में पाकिस्तानी झंडे लहराए जाने की खबरें हैं।
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर ब्रिटेन में रहने वाले उस सिख अलगाववादी नेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना चाहती थीं जिस पर इंदिरा गांधी की हत्या के लिए उकसाने का आरोप था। लेकिन राष्ट्रमंडल नागरिकों के बारे में ब्रिटेन के एक कानून के कारण वह उस सिख को प्रत्यर्पित करने के भारत के अनुरोध को पूरा नहीं कर पाईं थीं। गुरुवार को सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेजों में यह बात सामने आई है।
श्रीलंका से तमिल विद्रोहियों को पूरी तरह कुचल देने वाले देश के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को डर सता रहा है कि इतनी मुश्किल से हराए गए अलगाववादी तमिल टाइगर्स फिर से एकजुट हो सकते हैं और देश में आतंकवाद फिर से पनप सकता है।
अमरनाथ यात्रा की अवधि 30 दिन तक सीमित करने की हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी की मांग खारिज करते हुए हुए जम्मू-कश्मीर के उप-मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कि अलगाववादी राज्य में अप्रासंगिक हो चुके हैं, लिहाजा अपनी ओर ध्यान खींचने की खातिर मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं।