सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की प्रथा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करके इनका फैसला करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ आप सरकार की याचिकाओं को आज संविधान पीठ को सौंप दिया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली एक राज्य नहीं है और इसका प्रशासनिक मुखिया उपराज्यपाल है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन दिनों लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों में छाई स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक धुंध और प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर नाराजगी जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को स्थिति से निपटने के लिये फौरी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ के न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साही और न्यायमूर्ति अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कल लखनउ समेत प्रदेश के कई इलाकों में छायी धुंध के मामले में दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के कानूनी प्रकरण भी देश के दूसरे हिस्सों में ट्रांसफर हो सकते हैं। पांच जजों की संविधान पीठ ने यह अहम फैसला सुनाया है। अभी तक जम्मू-कश्मीर में यह प्रावधान नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह बलात्कार पीड़ितों को पर्याप्त राहत मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाए। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि निर्भया कोष जैसा एक अलग कोष बनाना पर्याप्त नहीं है और यह जुबानी जमाखर्च जैसा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करते हुए कहा कि आईएसआई के अधिकारी सहित पांच सदस्यीय पाकिस्तानी जेआईटी को पठानकोट हमले की जांच के लिए भारत आने देना पाक खुफिया एजेंसी को क्लीन चिट देने के समान था और ऐसा कर पीएम ने भारत माता की पीठ में छुरा घोंपा है।
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर सुनाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी मुख्यमंत्री के विशिष्ट अधिकार को राज्यपाल नहीं हड़प सकते। साथ ही अदालत ने कहा कि संविधान में राज्यपालों के सीमित अधिकार हैं जिनका इस्तेमाल लोकतंत्र की अक्षुण्णता सुनिश्चित करने के लिए न्यायोचित और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए।
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत स्वेच्छा से दो वयस्कों के बीच समलैंगिक यौन संबंध स्थापित करने को अपराध की श्रेणी में रखने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले पर फिर से गौर करने के लिए दायर सुधारात्मक याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दी।
अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख तय की है।
उच्चतम न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश में चल रहे राजनीतिक संघर्ष के संदर्भ में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के कुछ आदेशों से संबंधित याचिकाओं को आज संविधान पीठ को सौंप दिया। न्यायमूर्ति जे.एस. खेहड़ और न्यायमूर्ति सी. नागप्पन की पीठ ने कहा कि यह मामला राज्यपाल, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अधिकारों के सांविधानिक प्रावधानों से संबंधित है। इसलिए इस पर वृहद पीठ द्वारा विचार की आवश्यकता है।