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बंट गई आम आदमी पार्टी

बंट गई आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी आखिर दो गुटों में बंट ही गई। एक गुट मुख्य‍मंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में तो दूसरा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के समर्थन में। दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद पहली बार आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो हंगामा हुआ उसकी पटकथा पहले से ही तैयार थी।
केजरीवाल पर तानाशाही का आरोप

केजरीवाल पर तानाशाही का आरोप

आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल पर पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। प्रशांत और योगेंद्र ने दिल्ली के प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस कर यह बात कही। इन दोनों असंतुष्ट नेताओं के साथ अब पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर आनंद कुमार भी खुलकर सामने आ गए हैं। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रोफेसर कुमार भी मौजूद थे।
केजरीवाल का एक और स्टिंग

केजरीवाल का एक और स्टिंग

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कथित तौर पर एक और नया स्टिंग सामने आया है। जिसमें केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के नेता प्रोफेसर आनंद कुमार और अजीत झा को गालियां दी हैं। इससे जाहिर हो रहा है कि आम आदमी पार्टी में झगड़ा और बढ़ता जा रहा है। केजरीवाल ने इस बातचीत में पार्टी के नेताओं को लात मारकर बाहर निकालने की बात भी कर रहे हैं।
स्नूपगेट की रोशनी में राहुल जासूसी कांड

स्नूपगेट की रोशनी में राहुल जासूसी कांड

दिल्ली पुलिस द्वारा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यालय में जिस तरह से पूछताछ की गई उससे स्नूपगेट कांड की याद ताजा हो गई। भले ही दिल्ली पुलिस यह कह रही हो कि यह रुटीन में की गई पूछताछ है लेकिन जिस तरह से पूछताछ की गई उसके कई पहलुओं पर गौर करने की जरुरत है।
आप में अब किसकी बारी

आप में अब किसकी बारी

आप में अब अगली बारी किसकी है..यह सवाल आप में, आप के नेतृत्वकारी कतारों में और आप के कार्यकर्ताओं को मथ रहा है। योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को आप की राजनीतिक मामलों की समिति से बाहर करने के बाद भी विवाद और तनाव थमने नहीं जा रहा है। बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।
तीस्ता के समर्थन में उठी आवाज़ें

तीस्ता के समर्थन में उठी आवाज़ें

गुजरात दंगों के ख़िलाफ़ निरंतर सक्रिय रहने वाली ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को कानूनी पचड़ों में फंसाये जाने को लेकर मुखर विरोध शुरू हो गया है। देशभर के कई जाने-माने बुद्धिजीवियों ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए तीस्ता के पक्ष में अभियान शुरू कर दिया है। अब तक इस अभियान से हज़ारों लोग जुड़ चुके हैं।
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