तीन दिन से चल रही भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक के बारे में कल पूरा दिन टेलीविजन पर खबरें नदारद रहीं और शाम होते-होते स्मृति ईरानी सभी चैनलों पर छा गईं। भारतीय जनता पार्टी की सांसद मीनाक्षी लेखी इस बात से खफा हैं कि पिछले दिनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर हुई स्मृति ईरानी उसकी महत्वपूर्ण बैठक का पूरा फुटेज (कार्यकारिणी की बैठक बेंगलूरु में चल रही है) ले गईं।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा गोवा के कैंडोलिम स्थित फैब इंडिया स्टोर के ट्रायल रूम में कथित तौर पर एक छुपा हुआ कैमरा पकड़े जाने के एक दिन बाद कंपनी ने शनिवार को कहा कि ट्रायल रूम सहित स्टोर में कहीं भी कोई छुपा हुआ कैमरा नहीं था।
विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार पर घाटी में बाढ की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर राहत अभियानों में अनावश्यक विलंब करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को विधानसभा के बहिर्गमन कर दिया।
भारतीय टीम से बाहर चल रहे आलराउंडर युवराज सिंह ने क्रिकेट प्रशंसकों से अपील की है कि वे टेस्ट कप्तान विराट कोहली और उनकी अभिनेत्री महिला मित्र अनुष्का शर्मा की निजी जिंदगी का सम्मान करें।
आम आदमी पार्टी यानी आप की राजनीतिक मामलों की कमेटी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले जाने के बाद योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, प्रो. आनंद कुमार और प्रो. अजीत झा क्या करेंगे? क्या वे चुपचाप पार्टी से बाहर हो जाएंगे या अपने समर्थकों को लेकर नई पार्टी बनाएंगे? आम आदमी पार्टी को कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विकल्प के तौर पर देखने वालों के सर पर आजकल ये सवाल बेताल की तरह नाच रहे हैं।
दुनियाभर में सत्ता प्रतिष्ठानों की तरफ से दिए जाने वाले पुरस्कार हमेशा विवादों में रहे हैं। केंद्र में इस बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद पहली बार देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिये गए हैं। अगर पुरस्कार पाने वालों की फेहरिस्त पर नजर डाली जाए तो ऐसा लगता है कि अपने लोगों को उपकृत करने में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से भी आगे चली गई है। इस बार भाजपा सरकार ने अपनी ही पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई को भारत रत्न दिया तो वाजपेई सरकार में उप प्रधानमंत्री रहे पार्टी नेता लाल कृष्ण आडवाणी को पद्म विभूषण दे डाला। इसी तरह नजर डालें तो पुरस्कार पाने वालों में ज्यादातर भाजपा के करीबी पत्रकार, कलाकार, वैज्ञानिक और नेता हैं।
आम आदमी पार्टी आखिर दो गुटों में बंट ही गई। एक गुट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समर्थन में तो दूसरा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के समर्थन में। दिल्ली में ऐतिहासिक जीत के बाद पहली बार आयोजित राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जो हंगामा हुआ उसकी पटकथा पहले से ही तैयार थी।