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इसरो के सस्ते यानों से अमेरिका का निजी अंतरिक्ष उद्योग नाराज

इसरो के सस्ते यानों से अमेरिका का निजी अंतरिक्ष उद्योग नाराज

अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका के भारत के साथ सहयोग विस्तार को बढ़ावा देने के बीच देश के नवोदित निजी अंतरिक्ष उद्योग ने अमेरिकी उपग्रह को कक्षा में पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर कम लागत वाले इसरो के प्रक्षेपण यानों के इस्तेमाल पर विरोध जताया है।
इसरो 16 दिसंबर को सिंगापुर के छह प्रक्षेपास्‍त्र छोड़ेगा

इसरो 16 दिसंबर को सिंगापुर के छह प्रक्षेपास्‍त्र छोड़ेगा

भारत से अगले हफ्ते सिंगापुर निर्मित छह सेटेलाइट प्रक्षेपित किए जाएंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कुल 625 किलो वजन वाले इन प्रक्षेपास्‍त्रों को पोलर सेटेलाइट लांच व्हिकल (पीएसएलवी) रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा।
एस्ट्रोसैट का सफल प्रक्षेपण, साथ ले गया 4 अमेरिकी उपग्रह

एस्ट्रोसैट का सफल प्रक्षेपण, साथ ले गया 4 अमेरिकी उपग्रह

अपनी पहली अंतरिक्ष वेधशाला एेस्ट्रोसैट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर भारत अंतरिक्ष वेधशाला रखने वाले कुछ चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है। एस्ट्रोसैट अपने साथ छह विदेशी उपग्रहों को भी कक्षा में स्थापित करने के लिए भेजा गया है। यह पहली बार है, जब भारत ने अमेरिकी उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं।
अगले महीने अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग

अगले महीने अंतरिक्ष में भारत की बड़ी छलांग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्‍थान (इसरो) अगले महीने ऐसे रॉकेट का प्रक्षेपण करने वाला है जिसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सके। अगर भारत का यह प्रक्षेपण सटीक रहा तो भविष्य में उपग्रहों को अंतरिक्षण में भेजने की लागत में बहुत कमी हो जाएगी क्योंकि हर बार नया रॉकेट नहीं इस्तेमाल करना पड़ेगा।
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