अरब सागर में बने दबाव के क्षेत्र की वजह से महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में भारी बारिश होने की उम्मीद है। लेकिन इससे मानसून के आगे बढ़ने की गति प्रभावित हो सकती है।
25 अप्रैल को नेपाल में आए भूकंप से व्यापक तबाही हुई है। इससे नेपाल में महात्रासदी की स्थिति पैदा हो गई है। भूकंप के एक माह से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद लगातार कंपन जारी है। बारह अप्रैल को 7.3 रेक्टर की तीव्रता ने स्थिति को जटिल बनाने के साथ ही लोगों का सामान्य जीवन तबाह कर दिया है। भारी संख्या में लोग खुले आसमान के नीचे राते गुजारने के लिए बाध्य हैं। पीड़ितों के पास अब तक पर्याप्त राहत सामग्री नहीं पहुंच पाई है। दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थिति और भी भयावह है। सरकारी मदद अब तक इन स्थानों तक नहीं पहुंची है। राज्य सरकारों की अनुपस्थिति ने शासकीय शून्यता को जन्म दिया है। वर्षों से वहां पर नौकरशाहों का राज है। स्थानीय स्तर पर निर्वाचित और उत्तरदायी शासन के अभाव ने राहत कार्यों में गंभीर स्थिति को जन्म दिया है।
वर्ष 2014-15 की आखिरी तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी की विकास दर बढ़कर 7.5 फीसदी तक पहुंच गई है जबकि पूरे वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 7.3 फीसदी रही है। जबकि इससे पहले साल संशोधित विकास दर 6.9 फीसदी रही थी।
किसी भी दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया चीन यात्रा सफल कही जाएगी। इसमें भारतीय इनफ्रॉस्टक्चर क्षेत्र में 10 अरब डॉलर के चीनी निवेश 22 अरब डॉलर के व्यापार समझौतों सहित कई समझौते किए गए।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने अपने ब्लॉग में देश की आर्थिक तरक्की का जिक्र किया है और इसमें कृषि को छोड़ अन्य दूसरे क्षेत्रों का योगदान बताया है। लेकिन उन्होंने यह जिक्र करना शायद उचित नहीं समझा कि पिछले जिस दशक के दौरान अर्थव्यवस्था में सबसे तेज विकास हुआ, उसी अवधि में रोजगार की विकास दर सबसे धीमी क्यों रही?
प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिणी कोरिया की राजधानी सोल में आयोजित छठे एशिया नेतृत्व सम्मेलन में कहा, यदि एशिया को एक बनकर उभरना है तो उसे अपने आप को क्षेत्रीय धड़े के रूप में नहीं सोचना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत और चीन के बीच मजबूत एवं व्यापक साझेदारी पर बल देते हुए शनिवार को कहा कि दोनों पड़ोसी के बीच सौहार्दपूर्ण भागीदारी एशिया के आर्थिक विकास और राजनीतिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
एक तरफ दुनिया भर के देशों में अमेरिकी एजेंसियां और कंपनियां ड्रोन के जरिए सर्विलांस को बढ़ावा दे रही हैं। वहीं अमेरिका ने राजधानी वाशिंगटन के व्हाइट हाउस, कैपिटल हिल एवं पेंटागन जैसी कुछ सरकारी इमारतों को ड्रोन प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया है। इसका उल्लंघन करने वाले को भारी जुर्माना और आपराधिक दंड सहना पड़ सकता है। अमेरिका को देखकर दुनिया के बाकी देशों में भी ड्रोन पर प्रतिबंध का सिलसिला जोर पकड़ सकता है।