अमेरिकी कांग्रेस की ओर से गठित एक आयोग ने कहा है कि साल 2014 में भारत में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद धार्मिक अल्पसंख्यकों को हिंसक हमलों, जबरन धर्मांतरण और घर वापसी जैसे अभियानों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, भारत सरकार ने इस पर कड़ा एेतराज जताते हुए इसे खारिज कर दिया है। लेकिन मोदी राज में विश्व मंच पर भारत की छवि चमकने के दावों को तगड़ा झटका लगा है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जे जयललिता से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय में पेश होने के लिए भवानी सिंह को विशेष सरकारी वकील के रूप में नियुक्त करने का कोई अधिकार तमिलनाडु सरकार के पास नहीं है।
एक बार फिर पूर्वी दिल्ली के संवेदनशील इलाके त्रिलोकपुरी में शनिवार को एक बार फिर तनाव पसर गया। एक छोटी सी बात हुए विवाद ने जिस तेजी से उग्र रूप ले लिया, उससे यह लगा कि तनाव के बीज इलाके में मौजूद है। दो संप्रदायों के बीच मारपीट और जमकर पथराव हुआ जिससे पूरे इलाके में तनाव बना हुआ है, हालांकि कोई बड़ी वारदात नहीं हुई।
जम्मू कश्मीर के बडगाम जिले में विरोध प्रदर्शन के दौरान सीआरपीएफ की गोलीबारी में एक युवक की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए। यहां हुर्रियत के कट्टरपंथी गुट की ओर से पिछले सप्ताह त्राल में दो युवकों के मारे जाने के खिलाफ बंद का आयोजन किया गया था।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी डी के रवि की कथित आत्महत्या के मामले में समयबद्ध जांच के कर्नाटक सरकार के अनुरोध को सीबीआई द्वारा नामंजूर कर दिए जाने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार जांच एजेंसी से एक बार फिर अनुरोध करेगी कि वह मामले की जांच करे।
सीबीआई ने आईपीएस अफसर डीके रवि की मौत के मामले में राज्य का आग्रह ठुकराते हुए कहा है कि, जांच में राज्य शर्तें नहीं लगा सकती न ही वह जांच की कोई समय सीमा निर्धारित कर सकता है।
कर्नाटक सरकार ने आईएएस ऑफिसर डी.के. रवि की मौत का मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। सोमवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्य विधानसभा में यह घोषणा की। विपक्षी दल और रवि के परिवार के लोग शुरू से ही मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे जबकि सरकार ऐसा नहीं चाहती थी।
कर्नाटक में एक युवा और जोशीले आइएएस अधिकारी डी.के. रवि की अप्राकृतिक मौत एक अप्रत्याशित अंत में तब्दील हो गई है। पूरे देश के मध्य वर्ग को नेताओं और नौकरशाहों में अपना नायक तलाशने की आदत हो गई है, इससे बुरी तरह विचलित है। भारत में लगातार बढ़ता यह वर्ग यथास्थिति कायम रखने का पक्का समर्थक है और समस्याओं की जड़ तलाशने एवं उनके समाधान का प्रयास करने से इनकार करता रहा है। यह समस्या के लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करने और उनके आसान हल तलाशने में ही खुश रहता है और खुद को अपने नायक की भक्ति में व्यस्त रखता है।