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Search Result : "कल्लोल रॉय चौधरी"

रातें रोशन करती सूरज की तीली

रातें रोशन करती सूरज की तीली

सिर पर सुर्ख गुलाबी रंग की साड़ी का पल्लू , कंधों पर शॉल लपेटे हुए साठ वर्षीय रतन कंवर अपने काम में मग्न हैं। उनकी टेबल पर बिजली की तारें बिखरी हुई हैं और आसपास सौर लैंप रखे हैं। पेचकस हाथ में लिए वह कलपुर्जे के किसी बारीक पेच को सुलगा रही हैं। पूछे जाने पर ठेठ राजस्थानी में बताती हैं ‘ सूरज लालटण बणा री सूं । ‘ रतन कंवर जयपुर के ओखड़ास गांव की रहने वाली हैं। दस साल पहले इनके पति का देहांत हो गया था। दो शादीशुदा बेटे और दो बेटियां हैं लेकिन सभी अपनी जिंदगी में मसरूफ हैं। रतन कंवर का कहना है कि यहां यह काम सीखने के बाद वह अपने गांव लौटकर सौर लैंप और लालटेन बनाएंगी और उसे मरक्वमत करने का काम भी करेंगी। पढ़ाई-लिखाई के मामले में रतन कंवर के पास बताने को कुछ भी नहीं है लेकिन इस उम्र में इस विधा को सीखने के उनके जज्बे को सलाम है।
युद्ध या प्रेम: हम किस चीज से प्यार करें?

युद्ध या प्रेम: हम किस चीज से प्यार करें?

मास्को की मुलाकात कोई औपचारिक इंटरव्यू नहीं थी। न ही यह लुक-छिपकर की गई कोई भेंट थी। बढ़िया बात यह थी कि हमारा मिलना किसी सतर्क, कूटनीतिक, औपचारिक एडवर्ड स्नोडेन से नहीं हुआ। अफसोस की बात यह है कि कमरा नंबर 1001 में हुए मजाकों, हास्य और मसखरेपन को उसी तरह व्यक्त नहीं किया जा सकता।
चुनाव आचार संहिता का फेर, बिन फेरे घोड़ी से उतारे 23 दूल्हे

चुनाव आचार संहिता का फेर, बिन फेरे घोड़ी से उतारे 23 दूल्हे

आगरा में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई जहां पंचायत चुनाव होने वाले हैं। यहां की पुलिस ने आचार संहिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए शादी करने जा रहे 23 दूल्हों को जबरन घोड़ी से उतार दिया।
अब जासूसी कराने के आरोप में फंसे श्रीनि, बोर्ड सख्त

अब जासूसी कराने के आरोप में फंसे श्रीनि, बोर्ड सख्त

भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) की आपात बैठक में अध्यक्ष शशांक मनोहर ने गुरुवार को पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के खासमखास रहे पूर्व बीसीसीआई सचिव संजय पटेल को बुलाकर क्रिकेट जगत में सनसनी फैला दी थी। बाद में एक अंग्रेजी अखबार की खबर से पता चला कि यह सब कार्रवाई श्रीनिवासन पर नकेल कसने की तैयारी के तहत की गई थी क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में बोर्ड प्रत्येक सदस्य की जासूसी के लिए एक निजी कंपनी को तकरीबन छह करोड़ रुपये अदा किए थे।
सरकार ने न्यायालय से कहा, अर्द्धसैनिकों को शहीद का दर्जा नहीं

सरकार ने न्यायालय से कहा, अर्द्धसैनिकों को शहीद का दर्जा नहीं

शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका के जवाब सरकार ने कहा कि शहीद का दर्जा सशस्त्र बलों के उन कर्मियों को नहीं दिया जाता है जो कर्तव्य के दौरान अपनी जान कुर्बान कर देते हैं, इसलिए यह दर्जा अर्द्धसैनिक बलों को नही दिया जा सकता। सरकार ने इस मामले में दायर याचिका को भी गलत धारणा पर आधारित बताया है।
बिहार चुनाव: महागठबंधन की आंधी में कई दिग्गज धराशायी

बिहार चुनाव: महागठबंधन की आंधी में कई दिग्गज धराशायी

महागठबंधन की इस आंधी में बिहार की राजनीति के कई बड़े और चर्चित चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा, लोजपा और हम के साथ साथ एमआईएम के कई बड़े नेता हार गए हैं।
कुंदन शाह, मिर्जा, अरुंधति‍ समेत 24 लोगों ने अवार्ड लौटाए

कुंदन शाह, मिर्जा, अरुंधति‍ समेत 24 लोगों ने अवार्ड लौटाए

देश में असहिष्णुता के माहौल को लेकर पुरस्‍कार वापसी का सिलसिला जारी है। अब जाने-माने फिल्‍म फ‍िल्‍मकार कुंदन शाह, निर्देशक सईद मिर्जा और प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय समेत 24 फिल्‍मकारों ने अपने राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार लौटाने का ऐलान किया है। इससे पहले दिबाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन समेत 11 लोगों ने अभिव्‍यक्ति की आजादी और असहिष्‍णुता के मुद्दे पर अपने पुरस्‍कार लौटा दिए थे।
अखिलेश ने 8 मंत्रियों को बर्खास्त किया, 9 का विभाग छीना

अखिलेश ने 8 मंत्रियों को बर्खास्त किया, 9 का विभाग छीना

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल करते हुए आठ कैबिनेट ‌मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया है और नौ मं‌त्रियों का विभाग छीन लिया है।
अनु सिंह चौधरी की कहानी 'प्लीज डू नॉट डिस्टर्ब'

अनु सिंह चौधरी की कहानी 'प्लीज डू नॉट डिस्टर्ब'

लेडी श्रीराम कॉलेज और भारतीय जनसंचार संस्थान से पढ़ाई के बाद पांच साल टीवी की नौकरी की। फिलहाल डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकर, कम्युनिकेशन्स कंसलटेंट और अनुवादक के रूप में काम। पहला कहानी संग्रह नीला स्कार्फ बहुत ज्यादा चर्चित। मदरहुड और पेरेंटिंग पर पहली हिंदी की किताब मम्मा की डायरी को भी बहुत सराहना।
तान और तरानों में ‘संतोष’ का ‘आनंद’

तान और तरानों में ‘संतोष’ का ‘आनंद’

कभी संजीदगी, कभी खिलखिलाहट और कभी आंखों से बहते हुए आंसू। कलाकारों की बांसुरी और उनकी आवाज से अपने नगमों को सुनकर नामचीन गीतकार संतोष आनंद के चेहरे पर कई भाव आ और जा रहे थे। पूरी महफिल उन्हें खुश होते देखकर खुश होती थी और उन्हें गमगीन देखकर रो पडती, लेकिन सबको खुशी इस बात की थी कि ठीक एक साल पहले अपने बेटे और बहू की असामयिक मौत के गम को पीछे छोड़ते हुए वह अपनी जिंदगी में आगे की ओर बढ़े रहे हैं।