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Search Result : "किताब ‘ए सेंचुरी इज नॉट इनफ’"

गांधी के बारे में दुनिया बहुत कुछ नहीं जानती : किताब

गांधी के बारे में दुनिया बहुत कुछ नहीं जानती : किताब

दुनिया में कस्तूर को खुशबू के लिए जाना जाता है और उसका नाम इसी पर रखा गया था। वह रईस कपाड़िया परिवार में सबसे छोटी थी, जो विदेशों में कपड़े, अनाज और कपास के कारोबार का स्थापित घराना था। बाद में दुनिया में उन्हें कस्तूरबा के नाम से जाना गया। वह एक ऐसे व्यक्ति की पत्नी बनीं, जिसे शांति के दूत के रूप में दुनिया भर में सम्मान प्राप्त हुआ। कस्तूरबा की शादी बचपन में ही मोहनदास से हो गयी थी। मोहनदास स्वयंधर्मी और दबंग पति थे।
उपहार सिनेमा कांड: हादसे के बाद न्याय के लिए जारी लड़ाई पर किताब

उपहार सिनेमा कांड: हादसे के बाद न्याय के लिए जारी लड़ाई पर किताब

दिल्ली के उपहार सिनेमा हादसे के 59 पीड़ितों में से दो के माता-पिता ने इस सदमे तथा न्याय के लिए अपनी लंबी लड़ाई पर एक किताब लिखी है। ट्रायल बाय फायर का प्रकाशन पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया ने किया है।

"एसिड पीड़िताओं का दर्द महसूसने के लिए खुद पर एक बूंद एसिड डाल कर देखें"

एसिड पीड़िताओं की पीड़ा वही समझ सकता है जो कम से कम एक बूंद एसिड अपने शरीर पर डाल कर उसका दर्द बर्दाश्त करे। यही लब्बोलुआब था दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में, प्रतिभा ज्योति की, तेजाब वार से घायल सघर्षशील महिलाओं का दर्द-ए-दास्तां हूबहू बयां करती पुस्तक ‘एसिड वाली लड़की ’ के लोकार्पण के प्रमुख वक्ताओं के वक्तव्य का।
अंसारी की कि‍ताब नागरिकों को जिम्‍मेदारियों से अवगत कराएगी : मुखर्जी

अंसारी की कि‍ताब नागरिकों को जिम्‍मेदारियों से अवगत कराएगी : मुखर्जी

राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को राष्‍ट्रपति भवन में उप राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद हामिद अंसारी की पुस्‍तक सिटीजन एंड सोसायटी का विमोचन किया। किताब में अंसारी ने देश में विभिन्‍न थीमों पर दिए गए अपने लेक्‍चरों को शामिल किया है। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वह कई किताबों को भेंट स्‍वरुप पाते हैं। लेकिन यह पुस्‍तक उनके लिए विशेष तौर पर खास है क्‍योंकि इसको महान भारत के उप राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद अंसारी ने लिखी है, जो एक प्रबुद़ध विद़वान और सचेत नागरिक के रुप में समूचे देश में शुमार हैं।
भाजपा शासित सूबे में आडवाणी की आत्मकथा 'मेरा देश मेरा जीवन' रद्दी में फेंकी

भाजपा शासित सूबे में आडवाणी की आत्मकथा 'मेरा देश मेरा जीवन' रद्दी में फेंकी

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में कलेक्टोरेट परिसर में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की आत्मकथा 'मेरा देश मेरा जीवन' रद्दी में पड़ी है। वह भी एक-दो नहीं, बल्कि 500 किताबें। इन्हें विभाग ने ही अनुपयोगी और रद्दी बताकर फेंक दिया है। पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के अफसरों का तर्क है कि जिन किताबों की समाज को जरूरत है, उन्हें मंगा कर थक गए हैं। ऐसी किताबों को बांटने के लिए अफसर दबाव दे रहे हैं, जिन्हें दीमक भी नहीं खा रहे।
ज्यादा दिन किताब रखने पर जुर्माना, जेल की सजा भी हो  सकती है

ज्यादा दिन किताब रखने पर जुर्माना, जेल की सजा भी हो सकती है

अमेरिका के एक पुस्तकालय ने अपनी लापता पुस्तकों की करीब दो लाख डालर की लागत को वसूलने की कोशिश के तहत तय अवधि से अधिक पुस्तकें रखने वालों को जुर्माने और जेल की सजा देने का फैसला किया है। यह कदम कई भुलक्कड़ लोगों को परेशानी में डाल सकता है।
धर्मनिरपेक्षता को लेकर उपराष्ट्रपति ने जताई चिंता

धर्मनिरपेक्षता को लेकर उपराष्ट्रपति ने जताई चिंता

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि धर्मनिरपेक्षता जीवन मूल्य और लक्ष्य के रूप में न सिर्फ हमारे संविधान में शामिल है बल्कि देश की सर्वोच्च अदालत ने भी इसे संविधान के मूल ढांचे में शामिल किया है जिसे बदला नहीं जा सकता। इसके बावजूद इसके अर्थ और व्यावहारिक निहितार्थ को लेकर एक संदेह की स्थिति बनी रहती है।
कहानियों की किताब जिसमें हर कहानी है 140 अक्षरों से कम की

कहानियों की किताब जिसमें हर कहानी है 140 अक्षरों से कम की

जब लेखक और इलस्ट्रेटर मनोज पांडे ने सलमान रश्दी, मार्गरेट एटवुड और तेजू कोले जैसे अपने पसंदीदा लेखकों को उनकी प्रतिक्रिया पाने की आशा में अपने ट्वीट में टैग करना शुरू किया तब वे नहीं जानते थे कि उनकी प्रतिक्रिया भी अपने आप में लघु कहानियां ही होंगी।
हैरी पॉटर का जादू छाया, नई किताब खरीदने दुकानों पर भीड़

हैरी पॉटर का जादू छाया, नई किताब खरीदने दुकानों पर भीड़

एशिया में हैरी पॉटर का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। हैरी पॉटर की नई किताब की शुरुआती प्रतियां खरीदने के लिए आज सुबह किताब की दुकानों पर भारी भीड़ देखी गई जिसमें हैरी पॉटर का चित्रण एक वयस्क के रूप में किया गया है।
चर्चाः सेवा करने वालों का हिसाब-किताब | आलोक मेहता

चर्चाः सेवा करने वालों का हिसाब-किताब | आलोक मेहता

महान भारत देश में करीब 30 लाख संस्‍‌थाओं ने ‘स्वयंसेवी’ संगठन के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। लेकिन मात्र 10 प्रतिशत संस्‍थाएं ही अपनी आमदनी-खर्च का विवरण आयकर विभाग को देती हैं। सेवा करने वालों को अपने बही-खाते की पारदर्शिता रखने से परहेज क्यों है?
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