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किसान की मौत और व्यवस्था का तिलिस्म

किसान की मौत और व्यवस्था का तिलिस्म

23 अप्रैल 2015 को दौसा के गजेंद्र सिंह के रूप में देश के हाहाकार ने जंतर-मंतर पर दम तोड़ दिया। उसकी चीखती खामोशी को सत्‍ता और मीडिया की धडक़नों में एक और हाहाकार के रूप में धड़कना चाहिए था।
केजरीवाल की माफी, रैली जारी रखना गलती

केजरीवाल की माफी, रैली जारी रखना गलती

आम आदमी पार्टी की किसान रैली में आत्महत्या करने वाले गजेंद्र सिंह की मौत पर पहली बार दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुप्‍पी तोड़ी है। एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्‍यू में केजरीवाल ने कहा, उस समय रैली जारी रखना मेरी गलती थी और मैं सबसे माफी मांगता हूं। इस मामले की पुलिस और मजिस्ट्रेट जांच चल रही है और जो भी इसका दोषी हो, उसे चाहे फांसी पर लटका दो। लेकिन बहस इसी पर केंद्रित होनी चाहिए कि किसान खुदकुशी क्‍यों कर रहे हैं।
गजेंद्र ने सत्ता, सिस्टम और राजनीति का मुंह नोंच लिया !

गजेंद्र ने सत्ता, सिस्टम और राजनीति का मुंह नोंच लिया !

ये आंकड़ा हर किसी को पता है कि इस देश में 1995 से अब तक साढ़े तीन लाख किसानों-खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की है। दैनिक औसत निकालें तो 50 लोग हर रोज जान दे रहे हैं। 20 साल में देश की सत्ता और सिस्टम इन मौतों के जिम्मेदारों की शिनाख्त नहीं कर पा रही है। चूंकि, शिनाख्त नहीं हुई इसलिए आगे की कार्रवाई की भी जरूरत नहीं। एक खेल चल रहा है जिसमें राजनीतिक दल एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं। उनका ध्यान समस्या ओर उसके समाधान पर नहीं है, बल्कि खुद को दूसरों से उजला, ईमानदार और संवेदनशील दिखाने पर है। ऐसे में कोई गजेंद्र मरे तो मरता रहे, उनकी बला से।
किसानों पर दोहरी मार, इस साल भी कमजोर मानसून की आशंका

किसानों पर दोहरी मार, इस साल भी कमजोर मानसून की आशंका

नई दिल्‍ली। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार झेल रहे किसानों पर इस साल दोहरी मार पड़ने जा रही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल मानसून सामान्‍य से 7 फीसदी कम रहेगा। मानसून पर अल नीनो का खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते बारिश का इंतजार लंबा खिंच सकता है। गौरतलब है कि पिछले साल भी मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देश में सामान्‍य से 12 फीसदी कम बारिश हुई थी। गौरतलब है कि भारत में 70 फीसदी बारिश मानसून सीजन के दौरान पड़ती है।
येचूरी के नेतृत्व में भाकपा के साथ क्या माकपा का होगा विलय

येचूरी के नेतृत्व में भाकपा के साथ क्या माकपा का होगा विलय

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की कमान सीताराम येचूरी के हाथों में आने के कई निहितार्थ हैं। सबसे पहला एजेंडा भाकपा के साथ विलय का संभावना पर विचार करना है। भाकपा का एक धड़ा लंबे समय से यह चाह रहा है, येचूरी ने इस ओर इशारा भी किया है। संकट के दौर में वाम दलों का एका एक लोकप्परिय समाधान के तौर पर देखा जा रहा है।
समीक्षा- धरम संकट में

समीक्षा- धरम संकट में

भगवान या उनके नुमाइंदों को कटघरे में खड़ा करने वाली यह हाल ही की तीसरी फिल्म है। ओह माय गॉड, पीके के बाद धरम संकट में फिल्म भी श्रद्धा-विश्वास के बीच की रेखा को समझने की कोशिश करती है। वैसे यकीन मानिए यह किसी साधू-संत से ज्यादा परेश रावल की फिल्म है।
यमन से घर लौटे 190 भारतीय

यमन से घर लौटे 190 भारतीय

भारतीय वायुसेना का सी 17 ग्लोबमास्टर विमान भारतीय नागरिकों को लेकर तड़के करीब सवा तीन बजे शहर के अंतरराष्टीय हवाई अड्डे पर उतरा। इस विमान में सवार सभी यात्रियों को संकटग्रस्त यमन से बचा कर यहां लाया गया है।
कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह को राहत

कोयला घोटाले में मनमोहन सिंह को राहत

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कोयला घोटाला मामले में राहत मिल गई है। उच्चतम न्यायालय ने ओडिशा में तालाबीरा 2 कोल ब्लॉक को हिंडाल्को कंपनी को आवंटित करने संबंधी मामले में सिंह को बतौर आरोपी तलब करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है।
महान में भूमि अधिग्रहण विधेयक की प्रतियां फाड़ीं

महान में भूमि अधिग्रहण विधेयक की प्रतियां फाड़ीं

मध्य प्रदेश के महान जंगल इलाके के अमिलिया में महान संघर्ष समिति ने लोकतंत्र महोत्सव मनाया। इस मौके पर ग्रामीणों ने भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विशाल जनसभा की और भूमि अधिग्रहण विधेयक की प्रतियां फाड़ीं। सभा में सरकार की तरफ से महान जंगल को कोयला खदान के लिये आंवटित नहीं करने के निर्णय को लोकतंत्र की जीत बताया गया।
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