बॉलीवुड गायक सोनू निगम, सुखविंदर सिंह, सुनिधी चौहान समेत संगीत जगत की कई हस्तियों ने मुंबई में आयोजित एक समारोह मेंं सरबजीत सिंह को विशेष संगीतमय सम्मान दिया।
प्रतिष्ठित गायक प्रिंस की गुरूवार को अकस्मात निधन के बाद टीवी नेटवर्क एमटीवी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपने तयशुदा कार्यक्रमों का प्रसारण छोड़कर एक विशेष कार्यक्रम का प्रसारण किया।
पाकिस्तान के गजल गायक गुलाम अली का कार्यक्रम लखनउ में आयोजित किए जाने की वजह से अखिलेश यादव सरकार पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने उत्तरप्रदेश को इस्लामी राज्य करार दिया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने तुष्टीकरण की राजनीति के लिए राष्ट्र विरोधी कारोबार शुरू कर दिया है।
सालों से भारत में रहकर अपनी कला से लोगों के दिलों पर छा जाने वाले पाकिस्तानी गायक अदनान सामी अब भारतीय नागरिक हो जाएंगे। भारत सरकार ने सामी के अनुरोध पर देश की नागरिकता प्रदान कर दी है। सामी को 1 जनवरी 2016 से भारतीय नागरिकता प्रदान की गई है।
‘गजल एक लंबी यात्रा तय करती हुई, वस्ल की रात, महबूब की जुल्फें, हिज्र, सनम की बेरुखी, रुखसार, हुस्न और इश्क के सांचे से निकल चुकी है।‘ ऐसा कहना है कि उर्दू के मशहूर अफसानानिगार और गजलकार मुजफ्फर हनफी का। वह कहते हैं, ‘ लोग मानते हैं कि गजल औरतों से गुफ्तगू करने का नाम है, जो इश्कमिजाजी से लबरेज रहती है जबकि गजल अब विषय पर केंद्रित हो चुकी है। यहां तक कि गालिब जैसों ने भी विषयों पर गजलें लिखी है लेकिन यह अलग बात है कि गजल के उस रूप को तवज्जो कम मिली।
जाने-माने पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के भारत में सभी कार्यक्रम रद्द करने की खबरों के बीच लखनऊ जिला प्रशासन ने कहा है कि वह तीन दिसंबर को लखनऊ महोत्सव में अपना कार्यक्रम पेश करेंगे।
मशहूर पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली ने 8 नवंबर को दिल्ली में होने वाला कंसर्ट रद्द कर दिया है। गुलाम अली ने कहा कि सुरक्षा कारणों से वह भारत का अपना पूरा कार्यक्रम कैंसिल कर रहे हैं। तीन दिसंबर को उनका लखनऊ में होने वाला शो भी अब नहीं होगा।
अपने बयानों से अक्सर विवादों में रहने वाले बाॅलीवुड के गायक अभिजीत भट्टाचार्य के खिलाफ मुंबई में एक महिला ने दुर्व्यवहार और छेड़खानी का आरोप लगाया है। पुलिस ने बताया कि यह कथित घटना कल रात मुंबई के अंधेरी उपनगर स्थित लोखंडवाला में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान हुई। अभिजीत समारोह में आयोजक के तौर पर उपस्थित थे।
पाकिस्तानी सूफी गायक अदील खान बर्की जब भी हिंदुस्तान आते हैं एक तकलीफ के साथ यहां से जाते हैं। बंटवारे के वक्त बर्की के बुजुर्गों को जालंधर से लाहौर पड़ा था। उनके दादा और वालिद की तमन्ना थी कि आखिरी वक्त में एक दफा वह जालंधर जरूर जाएं लेकिन वीजा की दिक्कतों के चलते उन्हें यह नसीब न हो सका। ऐसे में अदील खान के दादा और वालिद के खाक-ए-सुपुर्द होने के बाद उन्होंने उनकी कब्र पर कत्बा लगवाया, जिसपर लिखा ‘ए जालंधर की हवाओ अगर कभी इस तरफ से गुजरो तो कुछ देर इस कब्र पर ठहर जाना, तुम नहीं जानती कि मरने वाला तुम्हें कितना याद करता है क्योंकि तुम बदनसीब इंसानों की तरह वीजा की मोहताज नहीं हो।’ इस दफा जब अदील खान हिंदुस्तान आए तो आउटलुक की विशेष संवाददाता ने उनसे विशेष बातचीत की-