उत्तरी थाइलैंड में पहाड़ी आदिवासियों के बच्चों के लिए खुले एक निजी स्कूल के छात्रावास में आग लग जाने के कारण कम से कम 18 लड़कियों की मौत हो गई और कई लड़कियां घायल हो गईं।
मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर इन बातों की चर्चा स्वाभाविक है कि आगे क्या होगा। क्या मोदी अगले वर्ष तक भी इतने ही शक्तिशाली बने रहेंगे? भाजपा का अगला कदम क्या होने वाला है? उत्तर प्रदेश के चुनाव में क्या होने वाला है?
ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस की आंधी में कांग्रेस और वाममोर्चा उखड़ गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अनुमान से बेहतर प्रदर्शन किया है। तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस को मिले वोटों का प्रतिशत बढ़ा है। भारतीय जनता पार्टी ने वाममोर्चा के वोटों में सेंध लगाई है। कई इलाकों में भारतीय जनता पार्टी के वोट तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर हुए हैं।
बॉलीवुड गायक सोनू निगम, सुखविंदर सिंह, सुनिधी चौहान समेत संगीत जगत की कई हस्तियों ने मुंबई में आयोजित एक समारोह मेंं सरबजीत सिंह को विशेष संगीतमय सम्मान दिया।
अभिषेक बच्चन के पास भले ही काम न हो लेकिन ऐश्वर्या राय उनका पक्ष लेने से नहीं चूकतीं। ऐश्वर्या अपनी फिल्म सरबजीत के लिए प्रचार कर रही है जबकि लंबे समय बाद अभिषेक बच्चन हाउसफुल 3 में दिखाई देंगे।
योग गुरु बाबा रामदेव ने रविवार को उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव से मुलाकात की।
ऐश्वर्या राय बच्चन ने एक बार फिर कान फिल्मोत्सव के रेड कार्पेट पर अपना जलवा बिखेरा। कुवैत के डिजाइनर अली यूनुस के डिजाइन किए हुए शैंपेन रंग के जड़ाउ गाउन में ऐश्वर्या गजब ढा रही थी।
69वें कान फिल्मोत्सव में ऐश्वर्या राय बच्चन और सोनम कपूर जैसी बॉलीवुड हस्तियों के अलावा दूसरे भारतीय फिल्मी सितारे भी समारोह के अलग-अलग कार्यक्रमों में नजर आ रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को राहत देते हुए उनके पैरोल की अवधि 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी। अदालत के अनुसार अवधि बढ़ाई गई है ताकि राय बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड सेबी के पास 200 करोड़ रुपए जमा करा सके।
युग बदल गया है। अब कुरुक्षेत्र में सत्ता के लिए आमने-सामने संघर्ष नहीं होता। सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा ने भारतीय जनता पार्टी को पहली बार सत्ता दिलाई। सोमनाथ की तरह काशी (बनारस-वाराणसी) भी आजादी के बाद राजनीतिक सत्ता संघर्ष का एक बड़ा केंद्र रहा है।