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राम नाइक पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप

राम नाइक पर राष्ट्रगान के अपमान का आरोप

अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल विस्तार के तहत शपथ ग्रहण कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल राम नाइक पर बीच में ही राष्ट्रगान रुकवा कर इसका अपमान करने का आरोप लगा है। राजभवन में आयोजित शपथ-ग्रहण समारोह के दौरान यह मामला सामने आया।
अखिलेश मंत्रिमण्डल का विस्तार, 12 नए चेहरों समेत 21 ने ली शपथ

अखिलेश मंत्रिमण्डल का विस्तार, 12 नए चेहरों समेत 21 ने ली शपथ

उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार के मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल के तहत शनिवार को 21 मंत्रियों तथा राज्यमंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। मंत्रिमंडल में कुल नौ मंत्रियों को प्रोन्नति दी गई है जबकि दो कैबिनेट तथा 10 राज्यमंत्रियों समेत कुल 12 नए मंत्रियों को शामिल किया गया है।
मुजफ्फरनगर दंगे: जांच आयोग ने राज्‍यपाल को सौंपी रिपोर्ट

मुजफ्फरनगर दंगे: जांच आयोग ने राज्‍यपाल को सौंपी रिपोर्ट

करीब दो साल के इंतजार के बाद मुजफ्फरनगर दंगे के गुहनगारों के नाम उजागर हो सकते हैं। दंगों की जांच कर रहे जस्टिस विष्‍णु सहाय आयोग ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट राज्यपाल राम नाईक सौंपी दी है।
उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल आमने-सामने

उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल आमने-सामने

उत्तर प्रदेश में सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव बढ़ गया है। ताजा टकराव लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर है। उतर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट से प्रस्ताव पारित कराकर लोकायुक्त की नियुक्ति की जो फाइल राज्यपाल को भेजी थी। राज्यपाल ने उस फाइल को लौटा दिया।
राम नाईक को महामहिम करने में आती है लज्‍जा: रामगोपाल

राम नाईक को महामहिम करने में आती है लज्‍जा: रामगोपाल

दिल्‍ली की तरह यूपी में भी राज्‍य सरकार और राज्‍यपाल के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने राज्‍यपाल राम नाईक पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह आए दिन गैरजिम्मेदाराना बयान देते हैं और भाजपा के कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे हैं।
चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

चतुर्भुज स्थान की दास्तां कोठागोई

यह किस्सों का संकलन है। मुजफ्फरपुर बिहार में तवायफों की एक 100 साल से पुरानी बस्ती है चतुर्भुज स्थान, जो बहुत प्रसिद्ध रहा है। उसके 100 साल के इतिहास को जानने-समझने की एक विनम्र कोशिश है यह किताब। इसमें उनके उत्थान के किस्से हैं, उनके पतन की नजीरें हैं। कोठागोई का एक उद्देश्य है आज की पीढ़ी का परिचय कोठों की उस संस्कृति से करवाना जो कभी तहजीब का केंद्र होता था, बाद में उसका रूप, उसकी पहचान बदलती गई। इसमें उन किरदारों के सुख हैं, दुःख हैं, गीत है, संगीत है जिनको न इतिहास ने याद किया न संस्कृति के अलंबरदारों ने। इस किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन से हो रहा है।
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