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मोदी गुजरात दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे?

मोदी गुजरात दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे?

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह बेंगलूरु में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह सहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बातें करके कांग्रेस की जगह लेने का प्रयास कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा कि क्या किसी का स्वभाव बदल सकता है?
तीस्ता के समर्थन में उठी आवाज़ें

तीस्ता के समर्थन में उठी आवाज़ें

गुजरात दंगों के ख़िलाफ़ निरंतर सक्रिय रहने वाली ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ को कानूनी पचड़ों में फंसाये जाने को लेकर मुखर विरोध शुरू हो गया है। देशभर के कई जाने-माने बुद्धिजीवियों ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए तीस्ता के पक्ष में अभियान शुरू कर दिया है। अब तक इस अभियान से हज़ारों लोग जुड़ चुके हैं।
तीस्ता की गिरफ़्तारी की आशंका

तीस्ता की गिरफ़्तारी की आशंका

2002 के गुजरात दंगों के ख़िलाफ़ मुखर ऐक्टिविस्ट तीस्ता शीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की अग्रिम जमानत गुजरात हाई कोर्ट ने रद्द कर दी है। उन पर दंगा पीड़ितों के लिए एकत्र चंदे में हेर-फेर का केस चल रहा है।
सरैया की घटना में बाहरी हाथ : सीएम

सरैया की घटना में बाहरी हाथ : सीएम

दंगे के चौथे दिन बुधवार को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पीडि़तों का दर्द जानने पहुंचे। घटना को दुखद बताते हुए उन्होंने इसमें बाहरी लोगों का हाथ होने की आशंका जताई। साथ ही कनीय पुलिस अधिकारियों को भी इसके लिए दोषी ठहराया।
दंगों की आग में जल उठा अजीजपुर

दंगों की आग में जल उठा अजीजपुर

दंगे को लेकर सरैया थाना पुलिस की भूमिका कठघरे में है। छात्र भारतेंदु के अपहरण के आरोपी के खिलाफ सुबूत देने पर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। वह युवक के सकुशल होने की बात कहती रही। जैसे ही छात्र का शव मिला लोग बेकाबू हो गए। पुलिस की कमजोरी यहां भी सामने आई। क्योंकि लगातार सूचना दिए जाने के बाद भी पुलिस वहां नहीं पहुंची। जबकि दो घंटे तक उपद्रवी हिंसा व आगजनी करते रहे।
निर्यात हिंदुत्व और जाति का

निर्यात हिंदुत्व और जाति का

जातिगत उत्पीडऩ और भेदभाव के खिलाफ मुखर होता दलित डायस्पोरा इससे चिंतित।भारतीय डायस्पोरा का यह दलित स्वर या दलित डायस्पोरा दुनिया के तमाम बड़े देशों में धीरे-धीरे मजबूत होता दिख रहा है। गैर दलित डायस्पोरा ने तो बड़ी तादाद में (सबने नहीं) अपनी राजनीति स्पष्ट कर दी है, अपना झुकाव स्पष्ट कर दिया है, दलित डायस्पोरा अभी उसके साथ खड़ा नहीं दिख रहा। भारत की नई सरकार से उसे भी अपेक्षाएं हैं। वह भी बेहतर सुविधाओं और व्यापार की संभावनाओं के प्रति आशावान है लेकिन जाति तथा जातिगत उत्पीडऩ के सवाल पर फिलहाल कोई समझौता करता नहीं दिखता।
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