उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में मंगलवार को एक बार फिर से जमकर हिंसा हुई। मायावती की सभा से लौट रहे लोगों को दंगाइयों ने अपना निशाना बनाया। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 9 लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद पूरे प्रदेश में जातीय संगठनों के प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई है।
उत्तरप्रदेश में सपा-बसपा के जातीय समीकरण तो भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति पर वार करते रहे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अब पेशे से पहचानी जाने वाली जातियों की पहचान की चिंता सताने लगी है। राहुल के अनुसार चमकते ब्यूटी पार्लर और ब्यूटी सैलून नाई जाति, नई टेक्नोलॉजी विश्र्वकर्मा तो पान पराग पान के परंपरागत पेशे से जुड़े चौरसिया समाज के लोगों का न केवल रोजगार छिन रहे हैं बल्कि यह इनकी जातीय पहचान भी मिटा रहे हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने इन जातियों से कहा है कि उनका पेशा ही उनकी सामाजिक पहचान है जिस पर आक्रमण हो रहा है और कांग्रेस उनकी जातीय पहचान बचाने के लिए तैयार है।
कांग्रेस आलाकमान ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को साधने के लिए बहुत से प्रयास किए हैं लेकिन उनमें से कोई अब तक कारगर नहीं हुआ है। अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत के लिए पार्टी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पकड़ा है।
जनगणना के धर्म से जुड़े आंकड़ें सार्वजनिक होने के बाद प्रवीण तोगड़िया और साक्षी महाराज जैसे हिंदुत्ववादी नेताओं ने आबादी को लेकर मुस्लिमों पर हमले तेज कर दिए हैं।
ऐसा लगता है कि हिंदूवादी शक्तियों ने धार्मिक जनगणना के आंकड़ों को भुनाना शुरू कर दिया है। तभी तो शिवसेना की आगरा इकाई ने उन हिंदू परिवारों को दो लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है जिनके परिवार में पांच बच्चे होंगे।
पिछले साल भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सत्ता में क्या आई 1990 के दशक के मजहबी और जातिगत टकराव के गड़े मुर्दे मानो फिर से उखाड़े जाने लगे। एक तरफ जनगणना में धार्मिक समुदायों की जनसंख्या वृद्धि के चुनिंदा आंकड़े पूर्वाग्रह के रंग में रंगकर धीरे-धीरे सामाजिक और मुख्यधारा मीडिया में टपकाए जाने लगे और दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल और उसके परिवार के तरह-तरह के गेरुआधारी ‘पूतों फलों’ और ‘घर वापसी’ के भड़काऊ भाषणों के जरिये बहुसंख्यक समुदाय का भयादोहन कर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध उन्माद पैदा करने की कोशिश करने लगे। नतीजतन देश में कई जगह अल्प तीव्रता वाले सांप्रदायिक उपद्रव होने लग गए, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष की सरकारें थीं और आगे चुनाव होने थे।
केंद्र सरकार ने धर्म आधारित जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए लेकिन अभी जाति आधारित जनगणना के नतीजे नहीं जारी हुए। जबकि कई राजनीतिक दल जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी करने की मांग कर रहे हैं।
सोमवार को राजद द्वारा किए गए बिहार बंद के चलते पूरे बिहार में आम जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया। राजधानी पटना में इस बंद का खासा असर देखा गया। दुकानें, शैक्षणिक संस्थानों को जबरन बंद कराए जाने और कई ट्रेनों का परिचालन बाधित कर दिए जाने के कारण पूरे बिहार में आम जीवन प्रभावित रहा। पटना में लालू यादव बंद का नेत़त्व करते हुए पार्टी नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए।
जाति आधारित जनगणना के आंकड़े जारी नहीं करने को लेकर उत्पन्न विवाद के बीच केंद्र सरकार ने गुरुवार को नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढि़या की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। यह समूह जाति के आधार पर आंकड़ों का वर्गीकरण करने के लिए बनाया गया है।